अमरनाथ मंदिर भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल है। यह मंदिर हिमालय की पर्वतीय धरा में स्थित है और अमरनाथ गुफा नामक एक गुफा में स्थापित है।
अमरनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और सालाना अमरनाथ यात्रा का एक प्रमुख मार्ग है। यह यात्रा हर साल श्रावण मास के कार्तिक पूर्णिमा तक चलती है और लाखों शिव भक्तों को आकर्षित करती है। यात्रा के दौरान प्रतिवर्ष अमरनाथ गुफा में जलराशि बनकर रुद्राक्ष की शिवलिंग पर प्रदर्शित होती है।
यात्रियों को अमरनाथ यात्रा के लिए भगवान शिव के दरबार में प्रवेश करना पड़ता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रियों को लगभग 46 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है, जिसमें मशहूर पहाड़ी यात्रा का हिस्सा है। इसमें यात्रियों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, जिसमें शीर्ष पर ठंडील पर्वतीय मार्ग, जो स्थानीय भाषा में “संगम” कहलाता है।
अमरनाथ मंदिर की यात्रा जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र धार्मिक आयोजनों में से एक मानी जाती है और इसे भारतीय धर्म और संस्कृति का आदर्श माना जाता है। यहां पहुंचने के लिए यात्रियों को शारीरिक और मानसिक तैयारी की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह एक कठिन यात्रा हो सकती है और विशेष योग्यताओं की आवश्यकता होती है।
अमरनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण स्थल है जहां शिव भक्तों को आध्यात्मिकता, शांति और आनंद का एक अनुभव मिलता है। इसका संदर्भ महाकाव्य ‘अमरकोश’ में भी मिलता है और यह भारतीय धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है।
अमरनाथ मंदिर कहाँ स्थित है?। where is amarnath temple located
अमरनाथ मंदिर भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के अनंतनाग जिले में स्थित है। यह हिमालय की पर्वतीय क्षेत्र में स्थित होने के कारण इसे पहुंचना और यात्रा करना थोड़ा कठिन हो सकता है। मंदिर का स्थान अमरनाथ गुफा नामक गुफा में है, जो लगभग 3,888 मीटर (12,756 फीट) की ऊचाई पर स्थित है।
मंदिर जम्मू से लगभग 46 किलोमीटर (28 मील) दूरी पर स्थित है। यह यात्रा जम्मू के बाद ग्राम पंचटर्नी, चंडानवारी, शेषनाग, पंजतर्णी और फिर अमरनाथ गुफा तक की यात्रा से पूर्ण होती है। यात्रा के दौरान यात्रियों को विशेष ध्यान और सुरक्षा की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह अपठित और कठिन पर्वतीय क्षेत्र में होती है।
यात्रा का महत्वपूर्ण बिंदु अमरनाथ गुफा है, जहां एक रुद्राक्ष की शिवलिंग प्रदर्शित होती है। यह यात्रा वार्षिक रूप से श्रावण मास के कार्तिक पूर्णिमा तक चलती है और इस मार्ग का निर्देशन और सुरक्षा स्थानीय अधिकारियों द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
अमरनाथ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?। Why is amarnath temple famous
अमरनाथ मंदिर अपनी धार्मिक महत्ता और विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। यहां कुछ मुख्य कारण दिए जाते हैं जिनके कारण अमरनाथ मंदिर महत्वपूर्ण है:
- भगवान शिव की महिमा – अमरनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जो हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण देवता हैं। शिव को संसार के सर्वोच्च देवता माना जाता है और उनकी पूजा और भक्ति का अमरनाथ मंदिर में आदर्श रूप है।
- अमरनाथ यात्रा – अमरनाथ मंदिर की यात्रा भारत में एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध धार्मिक यात्रा है। हर साल श्रावण मास के कार्तिक पूर्णिमा तक लाखों शिव भक्त इस यात्रा के लिए आते हैं। यात्रियों को अपनी आस्था को प्रकट करने के लिए अमरनाथ गुफा में जलराशि को देखने का और शिवलिंग पर पूजा करने का अवसर मिलता है।
- पौराणिक महत्व – अमरनाथ मंदिर को पौराणिक कथाओं में भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। कथानकों के अनुसार, यहां शिवाजी महादेव ने अपनी पत्नी पार्वती को अमरता और अमरनाथ के रहस्य के बारे में बताया था। इसे लेकर मंदिर का महत्त्व और प्रशंसा की जाती है।
- धार्मिक संस्कृति का प्रतीक – अमरनाथ मंदिर भारतीय धर्म और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। यहां की यात्रा मानसिक और आध्यात्मिकता का अनुभव प्रदान करती है और लोगों को धार्मिक आदर्शों को जीवन में स्थापित करने के लिए प्रेरित करती है।
अमरनाथ मंदिर का इतिहास?। History of Amarnath Temple
अमरनाथ मंदिर का इतिहास प्राचीन है और इसे हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। यहां के मंदिर में विराजमान भगवान शिव की मूर्ति का पूजन किया जाता है। यहां के शिवलिंग को रुद्राक्ष की श्रंगारिका से ढका जाता है। चंडीगढ़ में तत्कालीन द्वीपीय राजकुमार महाराजा गुलाब सिंह द्वारा बनवाया गया था।
अमरनाथ मंदिर का ऐतिहासिक पुराना उल्लेख पहली बार महाभारत काल में होता है, जहां इसे “अमरवटी तीर्थ” के नाम से जाना जाता था। विश्वसनीय मान्यता के अनुसार, यहां भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरता के बारे में बताया था।
आरम्भिक काल में अमरनाथ मंदिर का निर्माण किया गया था, लेकिन समय के साथ मंदिर में कई बार बदलाव हुए। 14वीं शताब्दी में मंदिर का निर्माण राजा सिंघदेव ने करवाया था। इसके बाद अमरनाथ मंदिर में विभिन्न समयों में अनेक राजाओं ने सुधार कार्य किए और इसे विस्तृत किया गया।

मंदिर का एक महत्वपूर्ण रूप यहां के यात्राओं के साथ जुड़ा है। श्रावण मास के कार्तिक पूर्णिमा तक के दौरान लाखों शिव भक्त इस मंदिर की यात्रा पर निकलते हैं। यात्रा के दौरान यात्रियों को अमरनाथ गुफा में शिवलिंग को देखने का और पूजा करने का अवसर मिलता है।
आपको यात्रा के दौरान अमरनाथ मंदिर में आपके साथ एक गाइड या स्थानीय अधिकारी रहेगा, जो आपको ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व से जुड़ी जानकारी प्रदान करेगा।
अमरनाथ मंदिर कैसे जाएं है?। How to reach Amarnath Temple
अमरनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं:
- हवाई यात्रा – अमरनाथ मंदिर के निकटतम वायुसेवा केंद्रों, जैसे स्रीनगर या जम्मू, के लिए फ्लाइट का उपयोग कर सकते हैं। इसके बाद, आपको स्रीनगर से जम्मू के लिए या स्रीनगर या बाल्टाल से पदयात्रा का उपयोग करके मंदिर तक पहुंचना होगा।
- ट्रेन – अरनाथ मंदिर के पास जम्मू तक रेल सेवा उपलब्ध है। आप अपने निकटतम रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन का उपयोग कर सकते हैं और फिर जम्मू से मंदिर तक टैक्सी, बस या खुद की साधनों का उपयोग कर सकते हैं।
- सड़क मार्ग – जम्मू या श्रीनगर से मंदिर तक पहुंचने के लिए आप अपने निजी वाहन का उपयोग कर सकते हैं या टैक्सी या बस की सेवाएं भी उपलब्ध हैं। यात्रा के दौरान ध्यान दें कि यह एक कठिन और घाटी इलाका है, और सुरंगों, खड़गबन्धन और पर्वतीय मार्गों के साथ बहुत हो सकता है, इसलिए आपको सुरक्षित रहना चाहिए।
- पदयात्रा – श्रीनगर या बालटाल से यात्रा का उपयोग करके भी अमरनाथ मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। इसमें आपको कम से कम चार दिनों के लिए पैदल चलना पड़ेगा और यात्रा के दौरान कैंप और आवास की व्यवस्था करनी होगी। यह यात्रा शारीरिक और मानसिक मजबूती की आवश्यकता होती है, इसलिए पहले से तैयारी करें और सुरक्षित रहें।
अमरनाथ मंदिर का तापमान और ऊंचाई?। Temperature and altitude of Amarnath Temple
अमरनाथ मंदिर की ऊचाई लगभग 3,888 मीटर (12,756 फीट) है। यह पर्वतीय क्षेत्र में स्थित होने के कारण इसका तापमान ठंडा रहता है। यात्रा के दौरान श्रावण मास में, जब अमरनाथ यात्रा आयोजित की जाती है, औसत तापमान शामिल होता है जो शनिमार्ग और गुफा क्षेत्र में खुदाई का कारण बनता है।
तापमान यात्रा के दौरान बदलता रहता है, लेकिन सामान्य रूप से श्रावण मास के दौरान यहां दिन का तापमान लगभग 15 डिग्री सेल्सियस (59 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक रहता है और रात्रि में इसका तापमान काफी नीचे जा सकता है, जब यह 0 डिग्री सेल्सियस (32 डिग्री फ़ारेनहाइट) या इससे भी कम हो सकता है।
अमरनाथ यात्रा करने वालों को शुष्क ठंडी और शरीर की ठंड से निपटने के लिए उपयुक्त धूपी, कोट, मुफ्ती, जैकेट और वर्मर कपड़े सहित उपयुक्त रूप से तैयार रहना चाहिए। साथ ही, यात्रियों को अपनी स्वास्थ्य स्थिति का ध्यान रखना चाहिए और यात्रा संबंधी निर्देशों का पालन करना चाहिए।
अमरनाथ मंदिर में कौन से देवता हैं?। What are the deities in the Amarnath temple
अमरनाथ मंदिर में प्रमुखतः भगवान शिव की पूजा की जाती है। यहां पर मुख्यतः शिवलिंग पूजा की जाती है, जिसे रुद्राक्ष की श्रंगारिका से ढका जाता है। शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक होता है और विशेष आदर द्वारा पूजा जाता है। यह शिवलिंग श्रद्धालुओं की आराध्य इष्ट देवता है।
इसके अलावा, अमरनाथ मंदिर में शिव की सहायक देवी पार्वती (गौरी) भी पूजी जाती हैं, जो शिव की पत्नी हैं और शक्ति का प्रतीक हैं। इनके अतिरिक्त, अन्य हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और प्रतिमाएं भी मंदिर में स्थापित हैं, जो भक्तों द्वारा पूजी जाती हैं।
अमरनाथ मंदिर को भगवान शिव के आवास के रूप में माना जाता है और यहां के महत्वपूर्ण देवता भगवान शिव ही हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के चरित्र, गुण और महिमा का मान्यता से महत्वपूर्ण स्थान है, और श्रद्धालुओं को यहां उनकी उपासना और आराधना करने का अवसर मिलता है।
अमरनाथ मंदिर पैदल कितना है?। how much is amarnath temple on foot
अमरनाथ मंदिर तक पैदल यात्रा की दूरी लगभग 46 किलोमीटर (28 मील) है। यह यात्रा विभिन्न मार्गों पर होती है, जिनमें से सबसे प्रमुख मार्ग श्रावणी मार्ग (Pahalgam मार्ग) है, जो पहले से ही अधिक लोकप्रिय है। इस मार्ग पर यात्रा करने वालों को लगभग 46 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है।
इसके अलावा, अमरनाथ मंदिर तक एक और मार्ग भी है, जिसे बाल्टाल मार्ग कहा जाता है। यह मार्ग बाल्टाल से शुरू होता है और लगभग 14 किलोमीटर (9 मील) की पैदल यात्रा के बाद अमरनाथ मंदिर तक पहुंचता है।
यात्रा करने वालों को यह ध्यान देना चाहिए कि यह पैदल यात्रा कठिन और चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि यह पर्वतीय क्षेत्र में होती है। यात्रा के दौरान, यात्रियों को अपनी सुरक्षा के लिए उपयुक्त आवश्यकताएं और वस्त्र सामग्री लेकर चलनी चाहिए, जैसे कि धूपी, जैकेट, मुफ्ती, जूते, अस्थायी आवास आदि। इसके अलावा, यात्रियों को यात्रा संबंधी निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए।
अमरनाथ मंदिर जाने की क्या मान्यता है?। What is the recognition of going to Amarnath temple
अमरनाथ मंदिर जाने की मान्यता हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। इस यात्रा को करने की मान्यता में विभिन्न पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं शामिल हैं। यह यात्रा मानसिक, आध्यात्मिक और श्रद्धापूर्ण अनुभव प्रदान करने के लिए जानी जाती है।
मान्यतानुसार, यहां शिव भगवान ने अपनी पत्नी पार्वती को अमरता और अमरनाथ के रहस्य के बारे में बताया था। इसके अलावा, इस स्थान को पुराने धर्मग्रंथों, जैसे महाभारत और पुराणों में भी महत्त्वपूर्ण यात्रा स्थल के रूप में उल्लेख किया गया है।
यहां श्रद्धालुओं को भगवान शिव की आराधना, पूजा और विशेष व्रत करने का अवसर मिलता है। इस यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा अमरनाथ गुफा है, जहां शिवलिंग प्रदर्शित होता है और जिसे देखने और पूजा करने का अवसर मिलता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस यात्रा में भाग लेने से उन्हें पापों का क्षय होता है और धार्मिक आदर्शों को जीवन में स्थापित करने के लिए प्रेरणा मिलती है।
यहां की यात्रा विशेष श्रद्धा, त्याग, समर्पण और तप को स्थापित करने का अवसर होती है। यह यात्रा श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्यौहार के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है।
अमरनाथ मंदिर के लिए बस कहाँ से मिलेगी?। Where to get bus for Amarnath temple
अमरनाथ मंदिर की यात्रा के लिए बस सुविधा प्रमुख शहरों और यात्रा के मुख्य आरंभिक स्थानों से उपलब्ध होती है। यहां कुछ मुख्य स्थानों से जहां से आप अमरनाथ यात्रा शुरू कर सकते हैं, उनमें से कुछ हैं:
- जम्मू – जम्मू अमरनाथ यात्रा के मुख्य आरंभिक स्थानों में से एक है। जम्मू में बस सेवा उपलब्ध होती है जो अमरनाथ यात्रा के लिए आरंभिक बिंदु पंचटर्नी या चंडानवारी तक जाती है।
- पहलगाम – पहलगाम भी अमरनाथ यात्रा के लिए प्रमुख आरंभिक स्थानों में से एक है। पहलगाम से बस सेवा उपलब्ध होती है जो यात्रियों को श्रावणी मार्ग यात्रा के लिए पंचटर्नी तक पहुंचाती है।
- सोपोर – सोपोर भी अमरनाथ यात्रा के आरंभिक स्थानों में से एक है। यहां से बस सेवा उपलब्ध होती है जो यात्रियों को अमरनाथ यात्रा के लिए बाल्टाल तक पहुंचाती है।
अमरनाथ मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन कौन सा है?। Which is the nearest railway station to Amarnath temple
अमरनाथ मंदिर के नजदीकी रेलवे स्टेशन कौन सा है, इसका सटीक उत्तर देने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप किस राज्य या क्षेत्र में यात्रा कर रहे हैं। यहां कुछ प्रमुख रेलवे स्टेशनों के नाम दिए जा रहे हैं, जो अमरनाथ मंदिर के निकटतम हो सकते हैं:
- जम्मू टवन रेलवे स्टेशन – यदि आप जम्मू और कश्मीर के जम्मू शहर की ओर से यात्रा कर रहे हैं, तो जम्मू टवन रेलवे स्टेशन (Jammu Tawi Railway Station) आपके निकटतम रेलवे स्टेशन हो सकता है। इस स्टेशन से आप यात्रा के लिए बस सेवाओं का भी लाभ उठा सकते हैं।
- उधमपुर रेलवे स्टेशन – यदि आप कश्मीर के जम्मू और कश्मीर क्षेत्र की ओर से यात्रा कर रहे हैं, तो उधमपुर रेलवे स्टेशन (Udhampur Railway Station) आपके निकटतम रेलवे स्टेशन हो सकता है।
अमरनाथ मंदिर चड़ाई कितनी है?। how much is amarnath temple climb
अमरनाथ मंदिर तक पैदल यात्रा की दूरी लगभग 46 किलोमीटर (28 मील) है। यह यात्रा विभिन्न मार्गों पर होती है, जिनमें से सबसे प्रमुख मार्ग श्रावणी मार्ग (Pahalgam मार्ग) है, जो पहले से ही अधिक लोकप्रिय है। इस मार्ग पर यात्रा करने वालों को लगभग 46 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है।
इसके अलावा, अमरनाथ मंदिर तक एक और मार्ग भी है, जिसे बाल्टाल मार्ग कहा जाता है। यह मार्ग बाल्टाल से शुरू होता है और लगभग 14 किलोमीटर (9 मील) की पैदल यात्रा के बाद अमरनाथ मंदिर तक पहुंचता है।
दिल्ली से अमरनाथ मंदिर रूट मेप?। Delhi to Amarnath Temple Route Map
दिल्ली से अमरनाथ मंदिर तक की यात्रा का आदर्श मार्ग इस प्रकार हो सकता है:
- दिल्ली से जम्मू ट्रेन या हवाई जहाज़ से जम्मू शहर तक पहुंचें।
- जम्मू शहर से बस, टैक्सी, या विशेष यात्री बस सेवा का उपयोग करके पहलगाम जाएं। यह यात्रा करीब 300 किलोमीटर (186 मील) की दूरी पर स्थित है और लगभग 8-9 घंटे का समय लग सकता है।
- पहलगाम पहुंचने के बाद, यात्रा की अगली चरण के लिए श्रावणी मार्ग (Pahalgam to chandanwari way) चुनें। इस मार्ग पर आपको बस सेवा, हाथी यात्रा, या पैदल यात्रा का विकल्प उपलब्ध हो सकता है।
- चंडानवारी तक पहुंचने के बाद, अमरनाथ मंदिर की पैदल यात्रा शुरू करें। यह यात्रा लगभग 14 किलोमीटर (9 मील) की होती है और लगभग 4-5 घंटे का समय लगा सकता है।
अमरनाथ मंदिर जाने के मुख्य पड़ाव कौन से हैं?। What are the main stops to go to Amarnath temple
अमरनाथ मंदिर तक यात्रा के दौरान कई मुख्य पड़ाव (चरण) होते हैं। ये पड़ाव यात्रा के विभिन्न स्थानों पर रुकने और मंदिर के प्रतिष्ठान में पूजा करने के लिए मान्यता प्राप्त हैं। निम्नलिखित पड़ाव अमरनाथ मंदिर यात्रा के मुख्य पड़ाव हो सकते हैं:
- पहलगाम (Pahalgam) – पहलगाम यात्रा की पहली पड़ाव होती है और यह यात्रा की आरंभिक बिंदु होती है। यहां पर्यटकों को विभिन्न सामाग्री और आवश्यकताओं की व्यवस्था मिलती है, जैसे मुफ्ती, पोनी, पालकी, और अन्य वस्त्र सामग्री।
- चंडानवारी (Chandanwari) – चंडानवारी दूसरा मुख्य पड़ाव है और यहां आरती के बाद संप्रदायिक पूजा आयोजित की जाती है। चंडानवारी से पुरुषों को चरणगह में लगाने का आदिकार होता है, जहां उन्हें शिवलिंग को स्पर्श करने की अनुमति मिलती है।
- श्री अमरनाथ जी गुफा (Shri Amarnath Ji Gufa) – श्री अमरनाथ जी गुफा तीसरा मुख्य पड़ाव है, जहां शिवलिंग की स्थापना होती है। यह गुफा यात्रियों के लिए प्रमुख पूजा स्थल है और यहां पर्यटक शिवलिंग की आराधना करते हैं।
ये मुख्य पड़ाव यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण होते हैं और श्रद्धालुओं को यात्रा में स्थानीय निर्देशों का पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके अलावा भी यात्रा में कई और पड़ाव होते हैं जैसे की महागुफा, पांचटर्णी, सग्गर लेक, महागुफा बाबा बर्फानी आदि।
बाबा बर्फानी कौन हैं और क्यों प्रसिद्ध हैं?। Who is Baba Barfani and why is he famous
बाबा बर्फानी अमरनाथ (Baba Barfani Amarnath) एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल है जो जम्मू और कश्मीर, भारत में स्थित है। यह स्थान श्री अमरनाथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है, जो हर साल जून से अगस्त तक चलती है। इस यात्रा में हिंदू श्रद्धालु बाबा बर्फानी गुफा तक पहुंचते हैं, जहां पर्वतीश्वर शिवलिंग धारण करते हैं। इस यात्रा को पूरा करने के लिए श्रद्धालुओं को कठिन पर्वतीय मार्गों को पार करना पड़ता है।
बाबा बर्फानी अमरनाथ यात्रा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। यह यात्रा हर साल हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है और इसे श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित और आयोजित किया जाता है। यह यात्रा धार्मिकता, आध्यात्मिकता और पर्यटन के मेल का एक उदाहरण है।
बाबा बर्फानी अमरनाथ बर्फ के शिवलिंग की कहानी क्या है?। What is the story of Baba Barfani Amarnath Ice Shivling
बाबा बर्फानी अमरनाथ बर्फ के शिवलिंग की कहानी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह कहानी महादेव शिव के महानतम श्रद्धालुओं के बारे में है, जो श्रद्धा और विश्वास के साथ अमरनाथ यात्रा को पूरा करते हैं।
कहानी के अनुसार, एक समय की बात है जब भगवान शिव ने माता पार्वती से अपने विश्वरूप के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि उन्हें श्रद्धालुओं की सेवा करनी है, जो विशेष तपस्या और आत्मविश्वास के साथ उनके दर्शन करना चाहते हैं। इसलिए, उन्होंने अपने महाकाशीराजा (Mahakasha Raja) रूप में उपवन में बर्फ से ढंकित एक शिवलिंग को छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि इस लिंग को अपने पुराने रूप में देखने के लिए और इसे ध्यान से पूजने के लिए विशेष प्रयास करने वाले श्रद्धालुओं को मैं अनुग्रह करूंगा।
यह बात माता पार्वती ने सुन ली और उन्होंने इस अमरनाथ शिवलिंग की यात्रा की शुरुआत की। इसके बाद से हर साल श्रद्धालु यात्रियों की भीड़ इस यात्रा में भाग लेने लगी है। यात्रा में सबसे पहले पंजाब के पहाड़ी गांव पहुंचते हैं और वहां से यात्रा आरंभ होती है। श्रद्धालु यात्रियों को आधिकारिक रूप से सम्मानित किया जाता है और सुरक्षा का व्यवस्था भी की जाती है।
यात्रा के दौरान श्रद्धालु यात्री लगभग 46 किलोमीटर दूरी को तय करने के बाद अमरनाथ गुफा तक पहुंचते हैं, जहां यह अमरनाथ शिवलिंग स्थित है। इस यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा बाबा बर्फानी होते हैं, जो श्रद्धालुओं को सहायता प्रदान करते हैं और यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करने में मदद करते हैं।
इस प्रकार, बाबा बर्फानी अमरनाथ बर्फ के शिवलिंग की कहानी यह दर्शाती है कि अगर हम श्रद्धा और विश्वास के साथ महादेव शिव की आराधना करें तो हम उनके दर्शन पा सकते हैं और उनके आदर्शों का अनुसरण कर सकते हैं।