• Home
  • /
  • गुजरात
  • /
  • द्वारका कहाँ है? | कैसे जाएं | बेस्ट टाइम
No ratings yet.

द्वारका कहाँ है? | कैसे जाएं | बेस्ट टाइम

द्वारका कहाँ है? | कैसे जाएं | बेस्ट टाइम

जय हिंद दोस्तों कैसे हैं आप सब? आज हम गुजरात के जगत मंदिर चार धामों में से एक धाम यानी कि द्वारिकाधीश की बात करने जा रहे हैं तो आज में आपको बताऊँगा की द्वारका मंदिर कैसे पहुंचना है? वहां रुकने की क्या व्यवस्था है? भोजन की क्या व्यवस्था है? तथा द्वारका मंदिर के साथ-साथ और कहां-कहां घूमना है और वहाँ जाने का कुल खर्चा कितना आएगा? एक-एक करके सारी बातों को समझते हैं जिससे आपको द्वारका जाने के लिए सहूलियत होगी।

द्वारका कहाँ है? | Where is Dwarka?

द्वारका गुजरात राज्य, भारत में स्थित है। यह आराब सागर के किनारे पर बसा हुआ है और गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित है। गुजरात में स्थित द्वारका धाम भारत के चारों धामों में से एक पवित्र धाम है जोकि भारत के समुद्र से लगे गुजरात राज्य में स्थित है। यहां पर देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और द्वारका धाम के दर्शन करते हैं। गुजरात राज्य के पश्चिमी सिरे पर समुद्र के किनारे स्थित 4 धामों में से 1 धाम और 7 पवित्र पुरियों में से एक पुरी है द्वारिका। द्वारिका 2 हैं।
1- गोमती द्वारिका
2- बेट द्वारिका
गोमती द्वारिका धाम है, बेट द्वारिका पुरी है।

द्वारका जाने का सबसे अच्छा समय | Best Time to Travel in Dwarka?

द्वारका की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है, जब मौसम सुहावना रहता है। गर्मियों में द्वारका में बहुत गर्मी होती है, जबकि मानसून के मौसम में भारी बारिश होती है।

द्वारका क्यों प्रसिद्ध है? | Why is Dwarka Famous?

द्वारका निम्नलिखित कारणों से प्रसिद्ध है –

  • यह चार सबसे पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है, जिन्हें चारधाम कहा जाता है। अन्य तीन स्थल बद्रीनाथ, रामेश्वरम धाम और जगन्नाथ पुरी हैं।
  • इसे गुजरात की पहली राजधानी माना जाता है।
  • यह द्वारकाधीश मंदिर का घर है, जो भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर भारत के सबसे लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है और कहा जाता है कि यह 2,500 वर्ष से अधिक पुराना है।
  • द्वारका को संस्कृत में “स्वर्ग का प्रवेश द्वार” भी कहा जाता है।
  • यह भारत के सात सबसे प्राचीन धार्मिक शहरों (सप्त पुरी) में से एक है।
  • द्वारका “कृष्ण तीर्थयात्रा सर्किट” का हिस्सा है जिसमें वृन्दावन, मथुरा, बरसाना, गोकुल, गोवर्धन, कुरुक्षेत्र और पुरी शामिल हैं।

अपने धार्मिक महत्व के अलावा, द्वारका एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। यह शहर अपने खूबसूरत समुद्र तटों, मंदिरों और किलों के लिए जाना जाता है। द्वारका कई पुरातात्विक स्थलों का भी घर है, जिसमें प्राचीन शहर द्वारका के खंडहर भी शामिल हैं, जिसके बारे में माना जाता है कि यह अरब सागर के नीचे डूबा हुआ था।

द्वारका में कुछ अन्य लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण यहां दिए गए हैं –

  1. बेट द्वारका – द्वारका से छोटी नौका की दूरी पर स्थित द्वीपों का एक समूह। यह द्वीप कई मंदिरों का घर है, जिनमें जगत मंदिर भी शामिल है, जो भगवान कृष्ण को समर्पित है।
  2. रुक्मिणी देवी मंदिर – भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी को समर्पित एक मंदिर।
  3. गोमती घाट – गोमती नदी के तट पर स्थित एक पवित्र स्नान घाट।
  4. बेयट शंखोधर – द्वारका से लगभग 30 किमी दूर स्थित एक समुद्री पार्क। यह पार्क डॉल्फ़िन, व्हेल और कछुए सहित विभिन्न प्रकार के समुद्री जीवन का घर है।

द्वारका एक जीवंत और महानगरीय शहर है जो हर किसी के लिए कुछ न कुछ प्रदान करता है। अपनी समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से लेकर अपनी प्राकृतिक सुंदरता तक, द्वारका दुनिया भर के यात्रियों के लिए एक अवश्य देखने योग्य स्थान है।

द्वारका का इतिहास | History of Dwarka?

द्वारका भारत के गुजरात राज्य के देवभूमि द्वारका जिले में एक शहर और नगर पालिका है। यह भारत के पश्चिमी तट पर काठियावाड़ प्रायद्वीप पर स्थित है। पुरी, बद्रीनाथ और रामेश्वरम के साथ द्वारका चार सबसे महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है।

द्वारका का इतिहास महाभारत के प्राचीन महाकाव्य काल से खोजा जा सकता है। पौराणिक कथा के अनुसार, मथुरा में अपने चाचा कंस को हराने और मारने के बाद कृष्ण यहीं बस गए थे। कृष्ण के मथुरा से द्वारका प्रवास का यह पौराणिक वृत्तांत गुजरात की संस्कृति से निकटता से जुड़ा हुआ है। यह भी कहा जाता है कि कृष्ण ने द्वारका बनाने के लिए समुद्र से 12 योजन या 96 वर्ग किलोमीटर (37 वर्ग मील) भूमि पुनः प्राप्त की थी। पुरातत्व संबंधी निष्कर्षों से पता चलता है कि कृष्ण को समर्पित मूल मंदिर द्वारकाधीश मंदिर 200 ईसा पूर्व में बनाया गया था। 15वीं-16वीं शताब्दी में मंदिर का पुनर्निर्माण और विस्तार किया गया।

प्राचीन और मध्ययुगीन काल के दौरान द्वारका एक बंदरगाह शहर के रूप में विकसित हुआ। यह व्यापार और वाणिज्य का एक प्रमुख केंद्र था और इसने हिंदू धर्म के प्रसार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। द्वारका पर सदियों से कई अलग-अलग राजवंशों का शासन था, जिनमें यादव, सातवाहन, गुप्त, चालुक्य और राष्ट्रकूट शामिल थे।

द्वारका कहाँ है? | कैसे जाएं | बेस्ट टाइम

13वीं शताब्दी में मुस्लिम सेनापति महमूद बेगड़ा ने द्वारका पर आक्रमण किया था। बेगड़ा ने द्वारकाधीश मंदिर को नष्ट कर दिया और शहर को लूट लिया। बाद में इस मंदिर का पुनर्निर्माण गुजरात के हिंदू राजाओं द्वारा किया गया था।

ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान, द्वारका बड़ौदा रियासत का एक हिस्सा था। 1947 में भारत की आज़ादी के बाद द्वारका गुजरात राज्य का हिस्सा बन गया।

आज, द्वारका दुनिया भर के हिंदुओं के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। यह शहर कई अन्य मंदिरों का भी घर है, जिनमें रुक्मिणी देवी मंदिर, गोमती घाट और बेट द्वारका शामिल हैं।

द्वारका एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। यह शहर अपने खूबसूरत समुद्र तटों, अपने प्राचीन मंदिरों और अपनी जीवंत संस्कृति के लिए जाना जाता है।

द्वारका की ऊंचाई और तापमान?

द्वारका समुद्र तल से 12 मीटर (40 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। द्वारका में तापमान –

महीना (Month)उच्चतम तापमान (डिग्री सेल्सियस) (Highest Temperature)न्यूनतम तापमान (डिग्री सेल्सियस) (Lowest Temperature)
जनवरी (January)24°C11°C
फ़रवरी (February)26°C13°C
मार्च (March)29°C16°C
अप्रैल (April)33°C20°C
मई (May)35°C24°C
जून (June)35°C27°C
जुलाई (July)32°C26°C
अगस्त (August)32°C26°C
सितंबर (September)33°C25°C
अक्टूबर (October)35°C21°C
नवम्बर (November)31°C15°C
दिसम्बर (December)27°C12°C

द्वारका कैसे पहुंचे?

बाय ट्रेन द्वारका कैसे पहुंचे?

द्वारका आने के लिए आपके पास तीन मार्ग हैं। पहले मार्ग की अगर में बात करूँ तो वह है आपका बाय ट्रेन। दोस्तों अगर आप बाय ट्रेन द्वारिका आ रहे हैं तो द्वारिका में ही रेलवे स्टेशन मौजूद है आप डायरेक्ट अपने शहर से द्वारिका के लिए ट्रेन का टिकट ले सकते हैं और यहां पर पहुंच सकते हैं।

अगर किसी कारणवश आपके शहर से द्वारका के लिए डायरेक्ट ट्रेन नहीं मिल पाती है तो आप उसके नजदीकी रेलवे स्टेशन, राजकोट रेलवे स्टेशन आ सकते हैं। यहां से आपको द्वारका रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन मिल जाएगी और आप द्वारका यहां से आसानी से पहुंच जाएंगे। यहां पर सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन अहमदाबाद रेलवे स्टेशन यहां भी आप आ सकते हैं। अहमदबाद रेलवे स्टेशन से आपको द्वारका रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन आसानी से मिल जाएगी।

बाय बस द्वारका कैसे पहुंचे?

दोस्तों, अगर आप प्राइवेट गाड़ी से आ रहे हैं तो आप अहमदाबाद से राजकोट होते हुए द्वारका पहुंच सकते हैं। अगर आप कहीं और जगह से आ रहे हैं तो सबसे पहले आपको बाय रोड अहमदाबाद पहुंचना है। अहमदवाद पहुंचने के बाद आपको यहां से बहुत सारी बस द्वारका के लिए मिल जाएंगी जो कि आपको 8 से 10 घंटे में द्वारका पहुंचा देंगी।आप राजकोट या अहमदाबाद दोनों जगहों में से कहीं से भी द्वारका धाम के लिए बस ले सकते हैं।

हवाई यात्रा से द्वारका धाम कैसे पहुंचे?

दोस्तों, अगर आपका बजट ठीक-ठाक है तो आप बाय एयर द्वारका धाम आना चाहते हैं तो यहां पर जो नजदीकी एयरपोर्ट है उसका नाम है पोरबंदर एयरपोर्ट । दोस्तों यहां से द्वारका धाम की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है जो कि आप यहां से बाई ट्रेन या टैक्सी हायर करके भी द्वारका धाम के लिए प्रस्थान कर सकते हैं।

द्वारकाधीश के दर्शन कैसे करें?

सबसे पहले जैसे ही आप यहां पर पहुंच जाएंगे तो मंदिर के पीछे साइड में एक बड़ा सा समुद्र तट पर घाट बना हुआ है जिसका नाम है गोमती घाट ऐसा माना जाता है कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले यहां पर स्नान करना अनिवार्य है तभी मंदिर के दर्शन करना शुभ माना जाता है तो सबसे पहले आपको यहां पर पहुंचकर स्नान कर लेना है।

यहां पर स्नान करना इसलिए भी अनिवार्य माना जाता है कि यहां पर गोमती नदी और समुद्र का संगम है जिसे की काफी पवित्र माना जाता है इसीलिए यहां पर स्नान करना उचित माना जाता है। यहीं पर नदी किनारे गोमती माता का मंदिर बना हुआ है तो उसके दर्शन आप अवश्य करिएगा और साथ ही साथ यहां पर बहुत सारे छोटे-छोटे मंदिर भी आपको देखने को मिलेंगे आप उनके दर्शन भी करें।

द्वारकाधीश के दो द्वार कौन-से हैं?

जैसे ही आप मंदिर परिसर में पहुंच जाते हैं तो यहां पर दो द्वार हैं एक है मोक्ष द्वार दूसरा है स्वर्गद्वार। हमको मुख्य द्वार से प्रवेश करना है यानी कि हमें स्वर्ग द्वार से प्रवेश करना है।

मंदिर परिसर में मोबाइल कैमरा आदि ले जाना वर्जित है अगर आप अपनी पर्सनल कार से आए हैं तो ये सब चीजें आप कार में ही रख दीजिए। अगर आप रखना भूल गए हैं या आपको पता नहीं है तो यहां पर आपको एक लॉकर मिल जाएगा। जहां पर आप अपना सामान रखोगे और उस लॉकर का टोकन अपने पास ले लीजिएगा जो कि फ्री ऑफ कॉस्ट होता है जब आप दर्शन करके बाहर आएंगे तो वह टोकन वहां पर देकर इस लॉकर में से आप अपना सामान ले सकते हैं इसका कोई भी चार्ज आप से नहीं लिया जाता है।
इसके बाद आप मंदिर में प्रवेश करिए और भगवान श्री कृष्ण के जयकारे लगाते हुए श्री कृष्ण भगवान के दर्शन कीजिए। जैसे ही आप मंदिर परिसर से दर्शन करके बाहर आएंगे तो यहां पर अन्य छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं जो कि श्री कृष्ण जी की अर्धांगिनी हुआ करती थी जैसे कि राधा जी का मंदिर, रुकमणी माता का मंदिर गोमती माता का मंदिर जो कि मंदिर परिसर के ही आस पास हैं इनके भी दर्शन आप कीजिये।

द्वारकाधीश धाम में आरती कब होती है?

अगर आप यहां पर आरती में सम्मिलित होना चाहते हैं तो यहां पर दो टाइम आरती होती है एक तो सुबह के 6:00 बजे और शाम को 6:30 बजे अगर आप आरती में सम्मिलित होना चाहते हैं तो आप यहां पर एक से डेढ़ घंटे पहले पहुंच जाइए जिससे कि आपको आरती में सम्मिलित होने का अवसर मिल सके।

द्वारकाधीश धाम में कहां रुकें?

यहाँ पर रुकने के लिए आपके पास तीन ऑप्शन है। सबसे पहले है धर्मशाला यहां पर एक से एक धर्मशाला आपको मंदिर परिसर के आसपास मिल जाते हैं जहां पर प्रति व्यक्ति 300 से 500 का चार्ज एक रात के लिए लिया जाता है। अगर आपका बजट कम है तो आप इन धर्मशाला में रुक सकते हैं। इन धर्मशाला में आपको अच्छे फैसिलिटी मिल जाती हैं।

दूसरा ऑप्शन है गेस्ट हाउस। यहां पर द्वारकाधीश ट्रस्ट का अपना एक गेस्ट हाउस भी है जिसमें चाहे तो आप रुक सकते हैं। यहां पर 500 से 700 रुपये में बिना AC रूम का आपको चार्ज पदमिल जाएगा। इस बजट में आप यहां पर द्वारकाधीश ट्रस्ट के गेस्ट हाउस में रुक सकते हैं।

तीसरा ऑप्शन है प्राइवेट होटल। आप चाहे तो प्राइवेट होटल में भी रुक सकते हैं। होटल में आपको 700 से 1000 रुपए तक एक रूम का चार्ज देना होगा। आप अपने बजट के हिसाब से होटल में AC तथा नॉन AC रूम ले सकते हैं और यहां पर ठहर सकते हैं।

द्वारकाधीश में भोजन की क्या क्या व्यवस्था है?

भोजन प्रसादालय –

मंदिर समिति की तरफ से यहां पर एक भोजन प्रसादालय भी है जहां पर आप 20 रुपये थाली भरपेट भोजन कर सकते हैं। यहां पर जो खाने का टाइम रहता है वह दिन में 11:00 से लेकर 2:00 बजे तक रहता है और शाम को 6:00 बजे से लेकर 9:30 बजे तक रहता है। दो स्लॉट मैं यहां पर भोजन दिया जाता है जो कि Rs. 20 प्रति थाली दिया जाता है तो आप यहां पर जाकर भी भोजन का आनंद ले सकते हैं और भरपूर भोजन खा सकते हैं।

प्राइवेट होटल और रेस्टोरेंट –

यहां पर आपको बहुत सारे प्राइवेट होटल और रेस्टोरेंट भी मिल जाएंगे जहां पर आपको 50 रुपये से लेकर 150 रुपये तक थाली मिल जाएगी आप अपने बजट के हिसाब से किसी भी थाली को ले सकते हैं।

द्वारकाधीश धाम के लिए कितने दिन का यात्रा प्लान बनाना चाहिए?

द्वारकाधीश मंदिर तथा यहां के आसपास के जगहों को घूमने के लिए आप 2 से 3 दिन का यहां पर स्टे कर सकते हैं। जिसमें कि आप यहां पर मंदिर के दर्शन भी कर पाएंगे और यहां के आसपास के स्थानों पर भी घूम पाएंगे। तो पहले दिन आप यहां पहुंचेंगे और द्वारकाधीश धाम मंदिर में श्री कृष्ण भगवान के दर्शन करेंगे और दूसरे दिन आप यहां पर जो भी आसपास के नजदीकी घूमने के स्थान हैं वहां पर चले जाएंगे ।

अब बात करते कि हमको द्वारका में और कहां कहां घूमना है और हमारा माध्यम क्या रहेगा।

पंचनंदा तीर्थ –

घूमने के लिए सबसे पहले स्थान कि में बात करूं तो वह है आपका पंचनंदा तीर्थ। जो कि मंदिर परिसर के ठीक पीछे जो गोमती घाट था वही गोमती घाट से आपका एक बना हुआ है सुदामा सेतु। तो सुदामा सेतु एक ब्रिज है जो कि एक केबल ब्रिज बना हुआ है। इसके माध्यम से आपको गोमती घाट के उस पार जाना है और इस से गुजरने के लिए आपको पहले आप लेना पड़ेगा इंट्रेंस जो कि Rs. 10 चार्ज है एडल्ट का और बच्चों का है Rs. 5 और अब हम सुदामा सेतु होते हुए हम जाएंगे।

पंचनंद तीर्थ में हमको जाकर सबसे पहले 5 कुंडों के जल का स्वाद लेना है। पंचनंद तीर्थ में पांडवों के नाम पर 5 कुंड बनाए गए हैं और हर एक कुंड में जो जल का स्वाद है वह मीठा स्वाद है और मीठा स्वाद होने के साथ-साथ सारे कुंड के जो जल है उन सब का स्वाद अलग अलग भी है। एक बार आप जाकर पांचों कुंड में जल का स्वाद जरुर लीजिएगा मीठा स्वाद आपको मिलेगा।

लक्ष्मी नारायण जी का मंदिर –

पंचनंदा तीर्थ के पास ही वहां पर एक है लक्ष्मी नारायण जी का मंदिर तो आप लक्ष्मी नारायण जी के दर्शन करिए मंदिर में मत्था टेकिए और उस कुछ समय वहाँ पर बिताइए आपको वहाँ पर एक खूबसूरत और शानदार पेड़ आपको दिखाई देगा जहां पर बैठकर दुर्वासा मुनि तप किया करते थे। और इस पेड़ की जो खूबसूरती है वह काफी लाजवाब है।

अब हम सुदामा सेतु होते हुए वापस मंदिर परिसर में आते हैं और हम निकलते हैं द्वारकापुर के लिए। यानी कि यहां पर जो भी और घूमने का स्थान है वहां के लिए जहां पर आपको जाना चाहिए। तो चलिए दोस्तों निकलने से पहले हम यह बात कर लेते हैं कि हमारा माध्यम क्या होगा इन सब जगह घूमने के लिए? यहां पर आपके पास दो ऑप्शन है ट्रांसपोर्टेशन के। पहला यह कि वहां पर ढेर सारी बसेस हैं। बस में Rs. 100 रुपये का टिकट कटवा लीजिए प्रति व्यक्ति और वह आपको वह सारे तीन या चार जितने भी स्पॉट घूमने के हैं उनका दर्शन करा कर आपको मंदिर परिसर में वापस छोड़ देगी।

लेकिन बस वाले आपको हर स्पॉट पर रुकने के लिए समय कम देते हैं और जल्दी ही अगले स्पॉट के लिए जाने के लिए कहते हैं इस वजह से थोड़ा समय आपको जरूर कम मिल सकता है घूमने के लिए हर स्पॉट पर। अगर आप हर स्पॉट को अच्छे से घूमना चाहते हैं तो आप यहां पर ऑटो बुक कर सकते हैं और ऑटो वाला आपसे 700 से Rs. 800 लेगा और सारे सपोर्ट घुमा कर आपको वापस मंदिर परिसर में छोड़ देगा।

गोपी तालाब –

अगला स्थान है गोपी तालाब यह वही तालाब है जहां पर भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ रासलीला खेला करते थे तो यहां पर जाकर आप जरूर स्नान के लिए क्योंकि यहां पर स्नान करना भी अति पवित्र माना जाता है। यहां जाने से पहले आप अपने साथ स्नान करने के लिए कपड़े भी अवश्य रूप से रखें। गोपी तालाब के पास ही है नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर। मंदिर परिसर के अंदर भोलेनाथ का ज्योतिर्लिंग है यहां पर आप दर्शन करिए अपनी मनोकामना मांगिए और ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए आगे बड़िए।

रुकमणी माता का मंदिर –

रुकमणी माता का मंदिर भी काफी सुंदर है आप यहां पर भी जाएं और दर्शन करें और कुछ समय आप यहां पर भी व्यतीत कीजिए। और जो आखिरी अस्थान है उसका नाम है

भेंट द्वार –

भेंट द्वारकाधीश मंदिर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भेंट द्वारका में जाइए लेकिन यहां पर आपको जाने के लिए लेना पड़ेगा बोट (Boat) क्योंकि भेंट द्वारका समुद्र में एक टापू पर स्थित है। जहां पर जाने के लिए आपको बोट लेनी ही पड़ेगी। इसको भेंट द्वार इसलिए कहा जाता है क्योंकि श्री कृष्ण भगवान के जो मित्र थे सुदामा उनकी मुलाकात पहली बार यहीं पर हुई थी इसीलिए इस जगह का नाम भेंटद्वारका रखा गया।

बोट वाला आप से Rs. 10 रुपये पर व्यक्ति के हिसाब से लेगा और भेंटद्वारका में आपको छोड़ेगा। वोट में 5 किलोमीटर सफर तय करने के बाद आपको यह जगह पड़ती है तो वोट में भी आप सफर का आनंद लीजिएगा। भेंट द्वारका में पहुंचने के बाद आपको वहां पर 1 किलोमीटर पैदल चलना है चाहे तो आप ऑटो से भी जा सकते हैं। ऑटो वाला आपसे Rs. 10 प्रति व्यक्ति लेगा भेंट द्वारका में 5 मंदिर हैं जो कि पहला मंदिर है भेंट द्वारका में श्री कृष्ण भगवान का पहले आपको यहां पर दर्शन करने हैं दूसरा है सत्यभामा मंदिर तीसरा है राधा जी का मंदिर और चौथा है जामवंती माता का मंदिर और पांचवा है रुकमणी माता का मंदिर।

यह सारे मंदिर भेंट द्वारका में आस-पास ही हैं तो आप इन सब मंदिर के दर्शन कीजिए और आशीर्वाद लीजिए इन पांचों मंदिरों में दर्शन करने के लिए मोबाइल और कैमरा यहां पर अलाउड नहीं है इस चीज का विशेष रूप से ध्यान रखें जैसे कि मैंने पहले भी बताया था ।

वहां पर आपको अपना सामान रखने के लिए लॉकर मिल जाएगा जिसका आपको टोकन दिया जाएगा और अंत में जाते समय आपको टोकन जमा करके अपना सामान लॉकर से वापस ले सकते हैं।

द्वारकाधीश घूमने के लिए कुल कितना खर्चा आएगा?

द्वारकाधीश घूमने के लिए आपका 2500 से 3000 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से खर्चा आ जाएगा लेकिन इसमें आपका सिर्फ द्वारकाधीश धाम पहुंचने के बाद का ही यह खर्चा है। इससे पहले आपका जो ट्रेन टिकट यह हवाई टिकट तथा बस का टिकट जिसके माध्यम से आप आए हो उसका खर्चा नहीं जुड़ा हुआ है या रास्ते में अगर आपने कोई अन्य खर्चा किया है तो वह खर्चा भी इसमें नहीं जुड़ा हुआ है यह सिर्फ और सिर्फ मंदिर परिसर में पहुंचने और वहां पर 2 दिन रुकने का एक अनुमानित खर्चा है जिसमें कि आप यहां पर आराम से 2 दिन रह सकते हैं और घूम सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *