नमस्कार दोस्तों कैसे हैं? आज हम बात करेंगे उत्तराखंड की पावन नगरी हरि के द्वार के बारे में यानी कि “हरिद्वार” के बारे में। दोस्तों, आज के इस लेख में मैं आपको बताने वाला हूं कि आप हरिद्वार किस प्रकार जाएं? यहां पर रहने व खाने की क्या-क्या व्यवस्था होगी? और यहां पर आप किन किन जगहों पर घूम सकते हैं? यह संपूर्ण जानकारी आज मैं इस लेख में आपको देने वाला हूं।
हरिद्वार कहाँ स्थित है?। Where is Haridwar located
हरिद्वार उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार जिले में स्थित है। यह दिल्ली से लगभग 230 किलोमीटर दूर है। हरिद्वार के उत्तर में शिवालिक पहाड़ियाँ और दक्षिण में गंगा नदी है।
हरिद्वार जाने का सबसे अच्छा समय | Best Time to Travel in Haridwar?
वेसे तो आप हरिद्वार साल भर में कभी भी जा सकते हैं क्योंकि यहां 12 महीने लोग आते जाते रहते हैं. फिर भी अगर मौसम की सहूलियत को देखा जाए तो यहां पर बारिश और गर्मियों में आप नाहीं जाएं तो बेहतर होगा। क्योंकि इस समय यहां खूब भीड़ रहती है. अगर आप भीड़ से बचना चाहते हैं, तो आपको सितंबर से दिसम्बर तक और फरवरी से मई तक जाना उचित रहेगा।
हरिद्वार क्यों प्रसिद्ध है?। Why is Haridwar famous?
‘हरिद्वार’ हिन्दू धर्म के अनुयायियों का प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थान है। यहाँ पहाड़ियों से निकल कर भागीरथी गंगा पहली बार मैदानी क्षेत्र में आती हैं। गंगा के उत्तरी भाग में बसे हुए ‘बदरीनारायण’ तथा ‘केदारनाथ’ नामक भगवान विष्णु और शिव के प्रसिद्ध तीर्थों के लिये इसी स्थान से मार्ग जाता है।
इसीलिए इसे ‘हरिद्वार’ तथा ‘हरद्वार’ दोनों ही नामों से जाना जाता है। हरिद्वार का प्राचीन पौराणिक नाम ‘मायापुरी’ है, जिसकी सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में गणना की जाती थी। हरिद्वार का एक भाग आज भी ‘मायापुरी’ नाम से प्रसिद्ध है। महाभारत में हरिद्वार को ‘गंगाद्वार’ कहा गया है।
हरिद्वार का इतिहास?। History of Haridwar
हरिद्वार का इतिहास बहुत पुराना है और इसका इतिहास महाभारत और पुराणों में मिलता है। भागवत पुराण में उल्लेख है कि हरिद्वार वह स्थान है जहां ऋषि कपिला ने तपस्या की थी और गंगा नदी को पृथ्वी पर बहने का वरदान प्राप्त किया था।
हरिद्वार का संबंध पांडवों से भी है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद इस शहर में आए थे। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने हरिद्वार का पहला मंदिर बनाया था, जो भगवान शिव को समर्पित था।
सदियों से, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद सहित कई संतों और संतों ने हरिद्वार का दौरा किया है। यह शहर सदियों से हिंदू तीर्थयात्रा का एक प्रमुख केंद्र भी रहा है।

हरिद्वार से जुड़ा सबसे प्रसिद्ध आयोजन कुंभ मेला है, जो हर 12 साल में आयोजित होता है। कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है और इसमें भाग लेने के लिए दुनिया भर से लाखों लोग हरिद्वार आते हैं।
मुगल और ब्रिटिश काल में हरिद्वार
मुगल काल के दौरान, हरिद्वार व्यापार और वाणिज्य का एक प्रमुख केंद्र था। मुगलों ने हरिद्वार को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिए कई सड़कें और पुल बनाए। उन्होंने शहर में कई मस्जिदें और अन्य धार्मिक स्मारक भी बनवाये।
ब्रिटिश काल के दौरान, हरिद्वार एक प्रमुख तीर्थस्थल बना रहा। अंग्रेजों ने हरिद्वार को पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया। उन्होंने शहर में कई होटल और अन्य पर्यटक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया।
आज हरिद्वार
आज, हरिद्वार एक आधुनिक और संपन्न शहर है। यह दुनिया भर के हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल है। हरिद्वार एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है और हर साल लाखों लोग इस शहर में आते हैं।
हरिद्वार के इतिहास की प्रमुख घटनाएँ
- महाभारत काल – कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद पांडव हरिद्वार आये।
- 7वीं शताब्दी ई. – आदि शंकराचार्य ने हरिद्वार में अद्वैत वेदांत परंपरा की स्थापना की।
- 16वीं शताब्दी ई. – मुगल सम्राट अकबर ने हरिद्वार का दौरा किया और शहर में एक मस्जिद का निर्माण कराया।
- 18वीं शताब्दी ई. – सिख गुरु गुरु गोबिंद सिंह ने हरिद्वार का दौरा किया।
- 19वीं शताब्दी ई. – अंग्रेजों ने हरिद्वार को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया।
- 20वीं शताब्दी ई. – कुंभ मेला तेजी से लोकप्रिय हो गया और दुनिया भर से लाखों लोग इसमें भाग लेने के लिए हरिद्वार आते हैं।
हरिद्वार का इतिहास समृद्ध एवं प्राचीन है। यह हिंदुओं के लिए एक पवित्र शहर और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। हरिद्वार एक ऐसा स्थान है जहाँ लोग शांति, सांत्वना और आध्यात्मिक ज्ञान पाने के लिए आते हैं।
हरिद्वार का तापमान और ऊंचाई?। Temperature and altitude of Haridwar
हरिद्वार समुद्र तल से 314 मीटर (1,030 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और तापमान –
महीना (Month) | औसत तापमान (Average Temperature) |
---|---|
जनवरी (January) | 6°C – 20°C |
फ़रवरी (February) | 8°C – 23°C |
मार्च (March) | 13°C – 28°C |
अप्रैल (April) | 18°C – 34°C |
मई (May) | 23°C – 38°C |
जून (June) | 25°C – 38°C |
जुलाई (July) | 24°C – 34°C |
अगस्त (August) | 24°C – 34°C |
सितंबर (September) | 22°C – 33°C |
अक्टूबर (October) | 16°C – 31°C |
नवंबर (November) | 10°C – 26°C |
दिसंबर (December) | 6°C – 21°C |
उत्तराखंड की यात्रा में हरिद्वार का क्या महत्व है?
हरिद्वार का अर्थ है – हर अर्थात् शिव (केदारनाथ) तथा हरि अर्थात् विष्णु (बद्रीनाथ) तक जाने का द्वार। इस प्रकार इसे हरद्वार या हरिद्वार के नाम से जाना जाता है। जिसको उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के लिए प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। उत्तराखंड के चार धाम है – बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री।
इसलिए भगवान शिव के अनुयायी और भगवान विष्णु के अनुयायी इसे क्रमशः हरद्वार तथा हरिद्वार के नाम से पुकारते अथवा जानते हैं । हर अर्थात् शिव (केदारनाथ) और हरि अर्थात् विष्णु (बद्रीनाथ) तक जाने का द्वार।
हरिद्वार कैसे पहुंचे?
हरिद्वार पहुँचने के लिए आपके पास तीन प्रकार के माध्यम है। जो निम्न प्रकार से हैं –
हरिद्वार ट्रेन के माध्यम से कैसे पहुंचे?
सबसे पहले ऑप्शन कि हम बात करेंगे तो जो है ट्रेन। तो दोस्तों आपको बता दें कि हरिद्वार में ही रेलवे स्टेशन मौजूद है। आप कहीं से भी हरिद्वार तक ट्रेन में आ जा सकते हैं। आप जिस भी शहर में रहते हैं वहां से हरिद्वार के लिए डायरेक्ट ट्रेन देख लीजिए और उस ट्रेन के माध्यम से आप हरिद्वार पहुंच जाइए।
अगर दोस्तों, अब किस शहर से हरिद्वार के लिए डायरेक्ट ट्रेन नहीं मिल रही है तो आप या तो दिल्ली या सहारनपुर तक ट्रेन ले सकते हैं जरूरी नहीं है कि हरिद्वार तक आपको कोई डायरेक्ट ट्रेन मिल जाए क्योंकि हरिद्वार के लिए कम ही ट्रेन है जो आपके शहर से डायरेक्ट हरिद्वार तक आप पाएं।
हरिद्वार हवाई जहाज के माध्यम से कैसे पहुंचे?
दोस्तों दूसरा ऑप्शन है बाय एयर अगर आप हवाई यात्रा द्वारा हरिद्वार आ रहे हैं तो आपका नजदीकी एयरपोर्ट है देहरादून जौली ग्रांट एयरपोर्ट। आप यहां जौली ग्रांट एयरपोर्ट पहुंच जाइए यहां से आप हरिद्वार बाय बस या बाइक कार किसी भी माध्यम से हरिद्वार पहुंच सकते हैं। जौली ग्रांट एयरपोर्ट से हरिद्वार की दूरी 40 किलोमीटर है जो आप किसी भी प्रकार से तय कर सकते हैं। चाहे वह कोई प्राइवेट कार हो या बस हो या कोई अन्य हो आप इन माध्यमों से बड़े ही आसानी से हरिद्वार हर की नगरी में पहुंच सकते हैं।
हरिद्वार रोड के माध्यम से कैसे पहुंच सकते हैं?
दोस्तों, अब हम बात करेंगे बाइक कार या बाय बाइक तो अगर आप बाइक आर्या बाय बाइक आ रहे हैं तो आप डायरेक्ट कहीं से भी हरिद्वार पहुंच सकते हैं। दोस्तों अगर आप बाय रोड आ रहे हैं तो दिल्ली से आपको हर एक आधे घंटे में बस वहां से हरिद्वार के लिए मिल जाएगी और हरिद्वार पहुंचने के बाद आपको वहां पर हर की पौड़ी में पार्किंग मिल जाएगी। अगर कारणवश वहां पर नहीं मिल पाती है तो चंडी घाट के पास वहां पर बहुत बड़ा पार्किंग स्पेस बनाया गया है जहां पर आप अपनी गाड़ी पार्क कर सकते हैं।
हर की पौड़ी में गंगा आरती का समय क्या रहता है?
हर की पौड़ी में गंगा आरती दो टाइम होती है एक तो सुबह के 6:00 बजे और दूसरा शाम को 6:00 बजे। दोस्तों तो आप अपने टाइम के हिसाब से यहां पर पहुंच जाइए और ब्रहम घाट चले जाइए दोस्तों ब्रहम घाट हर की पौड़ी को ही कहा जाता है। यहां पर गंगा आरती का काफी अद्भुत नजारा होता है जैसे कि वाराणसी में होता है सेम उसी प्रकार का ही अद्भुत नजारा आपको यहां पर भी देखने को मिलेगा ।
आप गंगा आरती में सम्मिलित होना चाहते हैं तो आप यहां पर आरती से डेढ़ घंटे पहले पहुंच जाइए क्योंकि आरती को सामने से देखने के लिए यहां पर काफी संख्या में लोग पहले से ही पहुंच जाते हैं तो आप जल्दी आइए और आरती का दृश्य देखिए नहीं तो आपको देरी से आने में पीछे से ही देखने को मिल पाएगा।
हरिद्वार में कहां रुके?
दोस्तों, अब हम बात करते हैं कि हरिद्वार में कहां रुके हैं? दोस्तों यहां पर रुकने के दो ऑप्शन हैं। पहला ऑप्शन है कि अगर आप कम बजट में यहां पर रुकना चाहते हैं तो आप धर्मशाला या किसी आश्रम में रुक सकते हैं जहां पर आपको 200 से 300 रुपये 24 घंटे के लिए चार्ज आप से लिया जाएगा और अगर आप बाहर रहना चाहते हैं तो आप किसी प्राइवेट होटल में रुक सकते हैं जहां पर आपको 500 से 700 रुपए तक आप को चार्ज किया जाता है।
दोस्तों, अब हम बात करते हैं कि आश्रम या होटल आपको किस जगह पर लेना है? दोस्तों जैसे ही आप रेलवे स्टेशन पहुंच जाएंगे तो यहां से आधा किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है शिवपुरा। शिवपुरा में काफी सारे धर्मशाला, आश्रम तथा होटल आपको यहां पर रहने के लिए मिल जाते हैं या फिर अगर आप यहां पर नहीं रुकना चाहते तो आप हर की पौड़ी चले जाइए यहां पर भी आपको ढेर सारे होटल आश्रम और धर्मशाला आपको रहने के लिए मिल जाते हैं तो आप वहां भी रुक सकते हैं।
हर की पौड़ी में धार्मिक स्थल –
हर की पौड़ी –
यह स्थान भारत के सबसे पवित्र घाटों में एक है। कहा जाता है कि यह घाट विक्रमादित्य ने अपने भाई भतृहरि की याद में बनवाया था। इस घाट को ‘ब्रह्मकुण्ड’ के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो गंगा में नहाने को ही मोक्ष देने वाला माना जाता है लेकिन किवदन्ती है कि हर की पौडी में स्नान करने से जन्म जन्म के पाप धुल जाते हैं।
शाम के वक़्त यहाँ महाआरती आयोजित की जाती है। गंगा नदी में बहते असंख्य सुनहरे दीपों की आभा यहाँ बेहद आकर्षक लगती है। हरिद्वार की सबसे अनोखी चीज़ है शाम होने वाली गंगा की आरती। हर शाम हज़ारों दीपकों के साथ गंगा की आरती की जाती है। पानी में दिखाई देती दीयों की रोशनी हज़ारों टिमटिमाते तारों की तरह लगती है। हरिद्वार में बहुत सारे मंदिर और आश्रम हैं।
चंडी देवी मंदिर-
गंगा नदी के दूसरी ओर नील पर्वत पर यह मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर कश्मीर के राजा सुचेत सिंह द्वारा 1929 ई. में बनवाया गया था। कहा जाता है कि आदिशंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में चंडी देवी की मूल प्रतिमा यहाँ स्थापित करवाई थी। किवदंतियों के अनुसार चंडी देवी ने शुंभ निशुंभ के सेनापति चंद और मुंड को यहीं मारा था। चंडीघाट से 3 किलोमीटर की ट्रैकिंग के बाद यहाँ पहुंचा जा सकता है। अब इस मंदिर के लिए भी रोप वे भी बना दिया गया है।
माया देवी मंदिर –
माया देवी मंदिर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में एक है। कहा जाता है कि शिव की पत्नी सती का हृदय और नाभि यहीं गिरा था। माया देवी को हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है, जिसका इतिहास 11 शताब्दी से उपलब्ध है। मंदिर के बगल में ‘आनंद भैरव का मंदिर’ भी है। पर्व-त्योहारों के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु माया देवी मंदिर के दर्शन करने को पहुंचते हैं।
दक्ष महादेव मंदिर –
यह प्राचीन मंदिर नगर के दक्षिण में स्थित है। सती के पिता राजा दक्ष की याद में यह मंदिर बनवाया गया है। किवदंतियों के अनुसार सती के पिता राजा दक्ष ने यहाँ एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया था। यज्ञ में उन्होंने शिव को नहीं आमन्त्रित किया। अपने पति का अपमान देख सती ने यज्ञ कुण्ड में आत्मदाह कर लिया। इससे शिव के अनुयायी गण उत्तेजित हो गए और दक्ष को मार डाला। बाद में शिव ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।
सप्तऋषि आश्रम –
इस आश्रम के सामने गंगा नदी सात धाराओं में बहती है इसलिए इस स्थान को सप्त सागर भी कहा जाता है। माना जाता है कि जब गंगा नदी बहती हुई आ रही थीं तो यहाँ सात ऋषि गहन तपस्या में लीन थे। गंगा ने उनकी तपस्या में विघ्न नहीं डाला और स्वयं को सात हिस्सों में विभाजित कर अपना मार्ग बदल लिया। इसलिए इसे ‘सप्त सागर’ भी कहा जाता है।
मनसा देवी का मंदिर –
हर की पौडी के पीछे के बलवा पर्वत की चोटी पर मनसा देवी का मंदिर बना है। मंदिर तक जाने के लिए पैदल रास्ता है। मंदिर जाने के लिए रोप वे भी है। पहाड़ की चोटी से हरिद्वार का ख़ूबसूरत नज़ारा देखा जा सकता है। देवी मनसा देवी की एक प्रतिमा के तीन मुख और पांच भुजाएं हैं जबकि अन्य प्रतिमा की आठ भुजाएं हैं।
हरिद्वार में कुम्भ मेले का आयोजन कब होता है?
हरिद्वार चार स्थानों में से एक है; जहां हर छह साल बाद अर्ध कुंभ और हर बारह वर्ष बाद कुंभ मेला होता है। ऐसा कहा जाता है कि अमृत की बुँदे हर की पैड़ी के ब्रम्हकुंड में गिरती हैं इसलिए माना जाता है कि इस विशेष दिन में ब्रहमकुंड में किया स्नान बहुत शुभ है |
प्राचीनतम जीवित शहरों में से एक होने के नाते, हरिद्वार प्राचीन हिंदू शास्त्रों में भी अपना उल्लेख पाता है जिसका समय बुद्ध से लेकर हाल ही के ब्रिटिश आगमन तक फैलता है। कहा जाता है कि महान राजा भगीरथ गंगा नदी को अपने पूर्वजों को मुक्ति प्रदान करने के लिए स्वर्ग से पृथ्वी तक लाये है। यह भी कहा जाता है कि हरिद्वार को तीन देवताओं ने अपनी उपस्थिति से पवित्र किया है ब्रह्मा, विष्णु और महेश |
कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने हर की पैड़ी के ऊपरी दीवार में पत्थर पर अपना पैर प्रिंट किया है, जहां पवित्र गंगा हर समय उसे छूती है। भक्तों का मानना है कि वे हरिद्वार में पवित्र गंगा में एक डुबकी लगाने के बाद स्वर्ग में जा सकते हैं।
हरिद्वार कला, विज्ञान और संस्कृति को सीखने के लिए विश्व के आकर्षण का केन्द्र भी बनता हैं। हरिद्वार की आयुर्वेदिक दवाओं और हर्बल उपचारों के साथ ही अपनी अनूठी गुरुकुल विद्यालय, प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली के लिए भी एक आकर्षण का केन्द्र है।
हरिद्वार में कौन से भगवान है?
हरिद्वार को तीन देवताओं ने अपनी उपस्थिति से पवित्र किया है ब्रह्मा, विष्णु और महेश | कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने हर की पैड़ी के ऊपरी दीवार में पत्थर पर अपना पैर प्रिंट किया है, जहां पवित्र गंगा हर समय उसे छूती है।