जय हिंद दोस्तों कैसे हैं आप सब? आज हम दक्षिण भारत के कैलाश यानी कि श्रीशैलम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की बात करेंगे जिसमें हम यह जानेंगे कि हमको श्रीशैलम कैसे पहुचना है? श्रीशैलम में कहां रुकना है? निशुल्क भोजन प्रसाद कहां मिलेगा? श्रीशैलम में कहां-कहां घूमना है और अंत में यह भी जानेंगे कि श्रीशैलम ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए हमारा खर्चा कितना लग जाएगा?
मेरे इस लेख में एक-एक करके सारी बातों को विस्तार पूर्वक समझते हैं जिससे आपको श्रीशैलम ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के कोई परेशानी न हो। श्रीशैलम ज्योतिर्लिंग के लिए सबसे पहले बात करते हैं कि हम कैसे पहुंचे आपके पास तीन ऑप्शन है। सारी बातों को एक एक करके समझते हैं?
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन कहाँ है? | Where is Srisailam Mallikarjuna?
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य के कुर्नूल जिले में स्थित है। यह मंदिर कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है।
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन जाने का सबसे अच्छा समय | Best Time to Travel in Srisailam Mallikarjuna
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर में दर्शन का सबसे अच्छा समय मानसून के बाद का समय होता है। इस समय मंदिर परिसर में हरियाली होती है और मौसम भी सुहावना होता है।
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन क्यों प्रसिद्ध है? | Why is Srisailam Mallikarjuna Famous?
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर का महत्वपूर्ण कारण वहाँ के प्राचीन धार्मिक महत्व के साथ-साथ उसकी भव्यता और आर्किटेक्चर है। यह स्थल हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण शिव भगवान के मंदिरों में से एक है और धार्मिक तथा सांस्कृतिक उत्सवों के लिए भी प्रसिद्ध है।
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन का इतिहास? | History of Srisailam Mallikarjuna?
श्रीशैलम का बहुत प्राचीन महत्व है। कई युगों से अत्यधिक महत्व के साथ, श्रीशैलम जहां श्री भ्रामराम्बिका देवी-मल्लिकार्जुन स्वामी रहते हैं, हजारों वर्षों से लाखों भक्तों के लिए एक पूजा स्थल रहा है। इतिहास हमेशा किताबों के माध्यम से या विभिन्न राजवंशों की कहानियों के माध्यम से बताया जाता है। यदि कोई राजवंशीय प्रचलन को देखता है, तो उसे दक्षिण भारत के पहले राजवंश, श्रीशैलम में सातवाहन के शिलालेखीय साक्ष्य मिलेंगे। सातवाहन राजाओं में से तीसरे सातकर्णी भी श्री मल्लिकार्जुन स्वामी के प्रबल भक्त थे और अपना नाम मल्लन्ना रखने के कारण लोकप्रिय थे।
तीसरी शताब्दी ई.पू. के प्राचीन ग्रंथों में श्रीशैलम का उल्लेख मिलता है। सातकर्णी ने अपने शासन के अधीन भूमियों का वर्णन करने वाले ग्रंथों में श्रीशैलम का उल्लेख चकोरा शेतागिरी के रूप में किया है। सातवाहनों के बाद, इक्ष्वाकु वंश ने आन्ध्र पर शासन किया। हालाँकि ये शासक अब इस कहानी को बताने के लिए मौजूद नहीं हैं, लेकिन यह कहना उचित है कि वे श्रीशैलम को एक पवित्र स्थल मानते थे।
छठी शताब्दी ईस्वी में, कदंब राजा मयूर शर्मा ने श्रीशैलम को श्रीपर्वतम कहकर संबोधित किया था। कदंब की मदद से ब्रुहद्दन नामक एक प्रजाति ने तत्कालीन शासकों, पल्लव राजवंश को जीत लिया और भूमि पर शासन किया। उन्होंने श्रीपर्वतम् को अपनी जीती हुई भूमि सहित एकीकृत कर लिया। बादामी चालुक्य वंश में, शासक पुलकेशी ने कई मंदिरों का निर्माण कराया और उन्हें मंदिरों का राजा माना जाता है। वह शिव दीक्षा लेने वाले पहले क्षत्रिय माने जाते थे।
735-755 ई. के दौरान, राष्ट्रकूट साम्राज्य के शासक दंतिदुर्ग ने श्रीपर्वतम और उसके आसपास की भूमि पर शासन किया। 980-1058 ई. के दौरान, कल्याण चालुक्यराजू, त्रयलोकमाल्य देव ने गर्भलायम पर एक गोपुरम की स्थापना की। उनके पोते ने 1069 ई. के दौरान सतराम और धर्मशाला के लिए श्रीशैलम को एक गाँव दान में दिया था। 11वीं शताब्दी के अंत तक, श्रीशैलम ने महा शिव मंदिर और वेदों के घर वाले मंदिर की प्रतिष्ठा अर्जित कर ली थी। होयसल राजवंश के शासकों ने श्रीशैलम में कृष्णा नदी के पास पातालगंगा से क्रिस्टल शिव लिंगम एकत्र किए और उनका उपयोग करके कई मंदिरों का निर्माण किया। तभी से महाराष्ट्रवासी श्रीशैलम को दक्षिणी काशी कहकर पुकारते रहे हैं।
काकतीय राजवंश से आने वाले प्रतापरुद्र ने अपनी पत्नी के साथ श्रीशैलम का दौरा किया, तुलाभारसेवा की और श्री मल्लिकार्जुन स्वामी और भ्रामराम्बा का आशीर्वाद प्राप्त किया। 13वीं शताब्दी के रेड्डी शासकों ने श्रीशैलम को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भगवान शिव के महान भक्त, प्रोलया वेमा रेड्डी ने श्रीशैलम पर शासन किया, रामतीर्थम नामक एक गाँव दान किया और श्रीशैलम के विकास में मदद की। उनके बेटे अनावेमा रेड्डी ने तेलंगाना से आने वाले भक्तों के लिए कदम रखे। उन्होंने पैतृक स्मृति के रूप में वीरसिरो मंडपम नामक एक हॉल का निर्माण किया। ऐसा कहा जाता है कि उस समय महान भक्त अपनी भक्ति दिखाने के लिए अपने शरीर के अंगों को चढ़ाते थे। 1405 ई. में कात्यवेमा रेड्डी ने श्रीशैलम और पेदाकोमती वेमा रेड्डी ने पातालगंगा की ओर कदम बढ़ाए।

14वीं शताब्दी ई. में विजयनगर राजवंश ने आंध्र प्रदेश पर शासन किया। इसके शासकों में विरूपाक्ष, सलूपा पर्वतय्या ने श्रीशैलम को कई गाँव दान में दिये। हरिहरया को पत्नी भगवान शिव के महान भक्त, प्रोलया वेमा रेड्डी ने श्रीशैलम पर शासन किया, रामतीर्थम नामक एक गाँव दान किया और श्रीशैलम के विकास में मदद की। उनके बेटे अनावेमा रेड्डी ने तेलंगाना से आने वाले भक्तों के लिए कदम रखे। उन्होंने पैतृक स्मृति के रूप में वीरसिरो मंडपम नामक एक हॉल का निर्माण किया।
ऐसा कहा जाता है कि उस समय महान भक्त अपनी भक्ति दिखाने के लिए अपने शरीर के अंगों को चढ़ाते थे। 1405 ई. में कात्यवेमा रेड्डी ने श्रीशैलम और पेदाकोमती वेमा रेड्डी ने पातालगंगा की ओर कदम बढ़ाए। 14वीं शताब्दी ई. में विजयनगर राजवंश ने आंध्र प्रदेश पर शासन किया। इसके शासकों में विरूपाक्ष, सलूपा पर्वतय्या ने श्रीशैलम को कई गाँव दान में दिये। हरिहरया को पत्नी भगवान शिव के महान भक्त, प्रोलया वेमा रेड्डी ने श्रीशैलम पर शासन किया, रामतीर्थम नामक एक गाँव दान किया और श्रीशैलम के विकास में मदद की।
उनके बेटे अनावेमा रेड्डी ने तेलंगाना से आने वाले भक्तों के लिए कदम रखे। उन्होंने पैतृक स्मृति के रूप में वीरसिरो मंडपम नामक एक हॉल का निर्माण किया। ऐसा कहा जाता है कि उस समय महान भक्त अपनी भक्ति दिखाने के लिए अपने शरीर के अंगों को चढ़ाते थे। 1405 ई. में कात्यवेमा रेड्डी ने श्रीशैलम और पेदाकोमती वेमा रेड्डी ने पातालगंगा की ओर कदम बढ़ाए। 14वीं शताब्दी ई. में विजयनगर राजवंश ने आंध्र प्रदेश पर शासन किया। इसके शासकों में विरूपाक्ष, सलूपा पर्वतय्या ने श्रीशैलम को कई गाँव दान में दिये। हरिहरया को पत्नी रामतीर्थम नामक एक गाँव दान किया और श्रीशैलम के विकास में मदद की।
द्वितीय, विटालाम्बा ने पातालगंगा की ओर जाने वाली सीढ़ियाँ बनाईं। शिवरात्रि के शुभ अवसर पर, हरिहरया द्वितीय ने मुख्य मंदिर के मुख्य हॉल के निर्माण का निर्देश दिया। उपरोक्त तीन इतिहास के हैं। श्री कृष्णदेवराय ने श्रीशैलम को एक अलग राज्य माना और अपने वफादार मंत्री चन्द्रशेखर को श्रीशैलम का प्रशासक नियुक्त किया। चन्द्रशेखर ने श्री कृष्णदेवराय और अपने चाचा धेमरसु के नाम पर मंडप बनवाये।
इतिहास कहता है कि मंदिर के दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी किनारों में गोपुरों का निर्माण श्री कृष्णदेवराय द्वारा किया गया था। महाराष्ट्र के प्रतीक, श्री छत्रपति शिवाजी, जो श्री मल्लिकार्जुन स्वामी और भ्रमरांबिका देवी के भक्त ने उत्तरी गोपुरम के निर्माण का आदेश दिया था।
18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान, श्री मल्लिकार्जुन स्वामी और भ्रमरांबिका देवी के मंदिर में, कई चेंचू मंदिर के मैदान की शोभा बढ़ाते थे और कई अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं का हिस्सा थे। स्थानीय लोगों का मानना है कि बहुत समय पहले जब मल्लिकार्जुन स्वामी जंगल में शिकार कर रहे थे, तो एक स्थानीय लड़की को भगवान से प्यार हो गया और बाद में स्थानीय लोगों की उपस्थिति में उसकी शादी भगवान से हो गई। तभी से श्रीशैला क्षेत्र में रहने वाले मल्लिकार्जुन स्वामी को स्थानीय लोग अपना दामाद मानते हैं और इसलिए उन्हें चेंचू मल्लन्ना और चेंचू मल्लय्या कहा जाता है।
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन कैसे पहुंचे?
बाय ट्रेन श्रीशैलम मल्लिकार्जुन कैसे –
अगर आप बाई ट्रेन मल्लिकार्जुन आना चाहते हैं तो वहां पर आपको नजदीकी रेलवे स्टेशन मारकापुर रोड पहुंचना है मारकापुर रेलवे स्टेशन से श्रीशैलम मल्लिकार्जुन की दूरी 90 किलोमीटर है तो आप जिस भी शहर से आ रहे हैं तो आप को सबसे पहले मारकापुर रेलवे स्टेशन आना है फिर वहां से आप 90 किलोमीटर मल्लिकार्जुन भाई बस या प्राइवेट गाड़ी किसी भी माध्यम से पहुंच सकते हैं।
यहां पर अगर बस की बात करें तो बस कि यहां पर ऑनलाइन बुकिंग भी होती है आप इस वेबसाइट www.apsrtconline .in पर जाकर जो कि आंध्र प्रदेश सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट है। इस पर जाकर आप अपनी बस की सीट बुक कर सकते हैं। बस का जो किराया होता है वह आपका 160 प्रति व्यक्ति का बस का किराया आपका 90 किलोमीटर का लगेगा अपनी सुविधा के लिए आप पहले ही बस का टिकट ऑनलाइन बुक करवा लें ताकि आपको आगे चलकर किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।
अगर आपको मारकापुर रोड तक डायरेक्ट ट्रेन नहीं मिलती है तो आप नजदीकी रेलवे स्टेशन कुरनूल सिटी भी ट्रेन (Train) तक से आ सकते हैं। कुरनूल रेलवे स्टेशन से श्रीशैलम मल्लिकार्जुन की दूरी 180 किलोमीटर है। कन्नूर रेलवे स्टेशन से 8 किलोमीटर आगे चलकर वहां पर बस स्टॉप आता है। जहां पर ऑटो वाला आपको रेलवे स्टेशन से Rs. 20 में छोड़ देगा। यहां पर जो बस की बुकिंग होती है। यहां पर भी आपको ऑनलाइन इस वेबसाइट www.apsrtconline .in से बस की सीट पहले ही बुक कर लेनी है। जो यह 180 किलोमीटर का सफर है। इसको बस से तय करने में आपका 6 से 7 घंटा लग जाएगा और अगर मारकापुर रेलवे स्टेशन से आप बस (Bus) से सफर करते हैं तो आपका 3 घंटे में सफर तय हो जाएगा।
पहुंचे हवाई यात्रा से श्रीशैलम मल्लिकार्जुन कैसे –
दुसरे माध्यम के बाट करूं तो वह है फ्लाइट से। अगर आप बाय फ्लाइट आना चाहते हैं तो आपको नियरेस्ट एयरपोर्ट हैदराबाद में आना होगा और हैदराबाद पहुंचते ही आपको बस से फिर आगे की यात्रा करनी होगी। यहां एयरपोर्ट से श्रीशैलम की दूरी 260 किलोमीटर है जो कि बस से 10 से 11 घंटे में आप श्री शैलम पहुंच जाएंगे।
पहुंचे बाय रोड श्रीशैलम मल्लिकार्जुन कैसे पहुंचे –
हैदराबाद बेसिकली वही यात्री आते हैं जो साउथ इंडिया से आ रहे हैं अगर आप साउथ से आ रहे हैं तो आपके लिए कुरनूल रेलवे स्टेशन और मारकापुर रेलवे स्टेशन बेस्ट ऑप्शन है। अगर आप बस से सफर करना चाहते हैं तो आपके लिए हैदराबाद और सिकंदराबाद बेस्ट ऑप्शन हैं। यहां से आपको श्रीशैलम मल्लिकार्जुन के लिए डायरेक्ट बस मिल जाएगी।
यहां से जो श्रीशैलम मल्लिकार्जुन की दूरी है वह 230 किलोमीटर है। हैदराबाद से श्रीशैलम तक बस का किराया एक व्यक्ति का Rs. 400 टिकट है और इसकी भी अनलाइन बुकिंग होती है वह आंध्र प्रदेश की ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन की इसी www.apsrtconline .in वेबसाइट से होती है और साथ ही साथ आप तेलंगाना स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस भी बुक कर सकते हैं।
तरीका | मार्ग | दूरी | अवधि | लागत (प्राकृतिक लागत रेंज) |
---|---|---|---|---|
हवाई मार्ग (Airways) | राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा से श्रीपुरम हवाईअड्डा तक उड़ान | लगभग 180 किलोमीटर | लगभग 2 घंटे | RS. 2000 – RS. 4000 |
रेल मार्ग (Railways) | श्रीकाकुलम रेलवे स्थल से श्रीशैलम मल्लिकार्जुन तक रेल सेवाएं | लगभग 150 किलोमीटर | लगभग 2 – 3 घंटे | RS. 300 – RS. 1000 |
सड़क मार्ग (Roadways) | आंध्र प्रदेश के विभिन्न स्थानों से बस सेवाएं उपलब्ध हैं | विभिन्न | विभिन्न | RS. 200 – RS. 800 |
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन की ऊंचाई और तापमान?
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन समुद्र तल से लगभग 457 मीटर (1,500 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है, तापमान –
महीना | न्यूनतम तापमान (°C) | अधिकतम तापमान (°C) |
---|---|---|
जनवरी | 15 | 28 |
फ़रवरी | 18 | 30 |
मार्च | 20 | 33 |
अप्रैल | 23 | 37 |
मई | 26 | 40 |
जून | 27 | 38 |
जुलाई | 26 | 35 |
अगस्त | 25 | 34 |
सितंबर | 24 | 33 |
अक्टूबर | 22 | 31 |
नवंबर | 18 | 29 |
दिसंबर | 15 | 27 |
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन में कहां रुके?
यहां पर आपके पास रुकने के लिए दो ऑप्शन है ।पहला है श्री शैलम देवस्थानम बोर्ड की तरफ से आपको रूम दिया जाता है और मंदिर परिसर के आसपास आपको श्री शैलम देवस्थानम बोर्ड के गेस्ट हाउस देखने को मिलेंगे वहां पर जाकर आप रुक सकते हैं। AC और नॉन AC दोनों टाइप के रूम आपको यहां पर मिल जाएंगे। जो भी रूम आप लेना चाहते हैं वह आपको मिल जाएगा। जो यह जितने भी सदन के गेस्ट हाउस हैं इनकी बुकिंग ऑनलाइन होती है। ऑनलाइन बुकिंग कैसे होती है यह आपकी वेबसाइट www.srisailadevasthanam .org है। इस वेबसाइट पर जाकर आपको ऑनलाइन अपना रूम बुक करवा लेना है।
अब हम यहां पर रूम की कॉस्ट के बात करें तो जो नॉन एसी रूम है वह आपको Rs. 300 पर डे के हिसाब से आपको चार्ज किया जाएगा और ऐसी रूम का आपको हजार रुपए चार्ज लिया जाएगा इसका जो चेकिंग और चेक आउट टाइम होता है वह रात को 8:00 बजे से लेकर सुबह के 8:00 बजे तक होता है।
दूसरा ऑप्शन है आपके पास होटल। वहां पर आंध्र प्रदेश टूरिज्म की होटल बनी हुई है। वहां पर भी आप जाकर स्टे कर सकते हैं। अगर कॉस्ट की बात की जाए तो यहां पर आपको Rs. 700 से लेकर 1200 रुपए पर डे के हिसाब से आपको चार्ज किया जाएगा। तो अगर आप सदन के गेस्ट हाउस में नहीं रुकना चाहते हैं तो आप बाहर होटल में जाकर भी रुक सकते हैं।
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन के दर्शन किस प्रकार होंगे?
दर्शन करने से पहले हमको कुछ और भी चीजें जानी जरूरी होती हैं उसके बाद ही हम दर्शन के लिए आगे बढ़ेंगे दर्शन करने से पहले सबसे पहली चीजों है कि आपको वहां पर एक एक्सेस कर लेना पड़ेगा एक्सेस कार्ड यानी कि एक तरफ से यात्रा परची है। तो आप यात्रा पड़ती परची निकलवा लीजिए यात्रा परची आपको मंदिर के गेट के सामने ही मिल जाएगी।
यहां पर एक्सेस कार्ड भी दो टाइप का मिलता है एक तो वह अगर आप दर्शन के लिए फ्री पास लेते हैं तो आपको लाइन में लगना पड़ेगा उस लाइन में आपको जितना भी समय लगेगा आपको रुकना पड़ेगा और दूसरा मिलता है आपको यहां पर शीघ्र पास दर्शन जिसको हम भी आई पी पास कह सकते हैं जिसका कॉस्ट Rs. 150 होता है अगर आप वीआईपी पास लेते हैं तो आपको आधा से 1 घंटे में दर्शन हो जाएंगे तो आप ऊपर दी गई वेबसाइट में जाकर ऑनलाइन भी आओ पास निकलवा सकते हैं।
दूसरी बात यह कि आपको मंदिर परिसर में मोबाइल कैमरा बैग ले जाना अलाउड नहीं है जहां पर आप दर्शन के लिए पास लेंगे वहीं पर आपको बगल में मोबाइल और बैग रखने के लिए या कैमरा रखने के लिए आपको लॉकर मिल जाएगा। जूते चप्पल भी आप यहां पर रख सकते हैं। उस लॉकर का टोकन आपको दिया जाएगा और दर्शन करने के बाद वापस आते समय आपको व टोकन वहां पर जमा करके अपना सामान वापस फिर से ले लेना है।
दर्शन की लाइन में चलते-चलते आप नंदी स्वामी का दर्शन कीजिए और आगे बढ़ते हुए हम मंदिर के गर्भ गृह में पहुंचते हैं जहां पर श्रीशैलम मल्लिकार्जुन लिंग का हम दर्शन करते हैं और दर्शन करते हुए बाहर आ जाते हैं।
श्रीशैलम जाने का बेस्ट समय कौन सा रहेगा?
श्रीशैलम जाने के लिए सबसे बेस्ट समय होता है विंटर (सर्दियों) का। इस समय यानी कि अक्टूबर से लेकर फरवरी तक का समय यहां पर जाने के लिए सबसे उचित रहेगा क्योंकि यहां पर उस समय ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं होती है तो आप आराम से मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा आप अगर सावन के महीने में या महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां पर आते हैं तो आपको बहुत ज्यादा मात्रा में भीड़ यहां पर देखने को मिलेगी।
श्रीशैलम में हमें कितने दिन का स्टे करना चाहिए?
यहां पर स्टे करने के लिए 2 दिन बहुत हैं क्योंकि यहां पर श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर के अलावा और भी कुछ छोटे-छोटे मंदिर हैं जहां पर आप घूम सकते हैं। तो उसके लिए आपको एक दिन एक्स्ट्रा वहां पर रुकना पड़ेगा। तो 2 दिन यहां के लिए पर्याप्त हैं। श्रीशैलम में खाने पीने की क्या व्यवस्था होगी हालांकि यहां पर आपके पास ढेर सारे ऑप्शन तो नहीं है खाने पीने के क्योंकि जो श्रीशैलम है वह एक पर्वत पर बना हुआ है फिर भी आपको यहां पर दो ऑप्शन मिल जाते हैं खाने के लिए पहला जो ऑप्शन है वह है श्री शैलम देवस्थानम बोर्ड की तरफ से भोजन यहां पर मुफ्त में करवाया जाता है। श्रीशैलम मंदिर के बगल में ठीक वहां पर एक बना हुआ है अन्नप्रसाद ।
वहां पर जाकर आप भी भोजन कर सकते हैं वहां पर सुबह का नाश्ता दिन का खाना और रात का खाना तीनो टाइम यहां पर खाना भक्तों को दिया जाता है यहां पर जो दिन के खाने की टाइमिंग है वह है 11:00 बजे से लेकर 2:00 बजे तक और जो शाम के खाने की टाइमिंग है वह है 6:00 बजे से लेकर 9:00 बजे तक तो अगर आप मंदिर ट्रस्ट की तरफ से फ्री में भोजन करना चाहते हैं तो आप यहां पर भोजन कर सकते हैं। दूसरा ऑप्शन है आपके पास प्राइवेट होटल या रेस्टोरेंट्स यहां पर जाकर भी आप अपना भोजन कर सकते हैं जो कि आपको 80 से Rs. 100 प्रति थाली खाने की मिल जाएगी।
आपको यहां पर दर्शन के बाद प्रसाद भी मिल जाता है तो आप घर के लिए काउंटर से वहां पर लाडू प्रसाद भी ले सकते हैं। जिसका आपको Rs. 5 या Rs. 10 या Rs. 15 के हिसाब से वहां पर दिया जाता है तो आप वहां पर प्रसाद ले सकते हैं।
मल्लिकार्जुन में घुमने के अन्य स्थान?
श्री मल्लिकार्जुन के बाद आपको दूसरे जो सबसे पहला घूमने का स्थान है वह है –
पातालगंगा –
वहां पर घाट बना हुआ है कृष्णा नदी के पास तो हम को वहां जाना है और कृष्णा नदी में डुबकी लगानी है और स्नान करना है पातालगंगा कैसे पहुंचेंगे इसकी बात करते हैं। दोस्तों मंदिर परिसर से 1 किलोमीटर की दूरी पर आपको पातालगंगा का सीडी मिलेगा जो आपको घाट तक ले कर जाएगा। यहां पर घाट पर जाने के लिए आपके पास दो ऑप्शन है। पहला ऑप्शन तो यह है कि आप शिडी के माध्यम से चले जाइए 650 शिडी हैं तो इन शिडीयों के माध्यम से आप घाट पर जा सकते हैं।
दूसरा ऑप्शन है आपके पास रोपवे का । वहां पर रोपवे बना हुआ है Rs. 65 प्रति व्यक्ति के हिसाब से इस रोपवे का चार्ज लगता है। तो वहां पर कृष्णा नदी में आप स्नान करिए और कुछ समय वहां पर व्यतीत करने के बाद वापस आ जाइए। अगर आप वोटिंग के शौकीन हैं तो कृष्णा नदी में आप वहां पर वोटिंग भी कर सकते हैं जहां पर नदी में एक डैम बना हुआ है तो आप वहां भी देख सकते हैं बोट वाला आपसे Rs. 50 लेगा और डैम के दर्शन करा कर आपको वापस घाट पर छोड़ देगा। दूसरा स्थान है आपका घूमने के लिए साक्षी गणपति मंदिर।
साक्षी गणपति मंदिर –
श्रीशैलम मंदिर परिसर से 1 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है। साक्षी गणपति मंदिर अगर आप यहां पर दर्शन नहीं करते हैं तो श्रीशैलम मल्लिकार्जुन के दर्शन आप के अधूरे माने जाते हैं ऐसा कहना है लोगों का। तो आप यहां पर जरूर दर्शन कीजिए अगला स्थान है किंतु लक्ष्मी म्यूजियम।
चेंचू लक्ष्मी म्यूजियम –
एक तरफ से एक म्यूजियम या संग्रहालय जिसे हम कहते हैं वह है जहां पर स्वदेशी जनजातियों की जीवन का एक झलक आपको देखने को मिलेगी। इसमें भी आपको काफी चीजें देखने को मिलेंगे। इसकी दूरी श्रीशैलम मंदिर परिसर से 1 किलोमीटर दूर स्थित है। अगला स्थान है हटकेश्वर मंदिर।
हटकेश्वर मंदिर –
हटकेश्वर मंदिर में शिव जी की प्रतिमा है। यहां पर आप दर्शन करिए यह वही मंदिर है शिव जी ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था तो आप यहां पर शिव के दर्शन कर सकते हैं।अगला स्थान है पाल धारा पंचधारा।
पाल धारा पंचधारा –
नाम से ही आपको समझ आ रहा होगा यहां पर एक बहुत बड़ा वाटरफॉल है यह वाटरफॉल आगे चलकर कृष्णा नदी में ही मिल जाता है। यहां पर आपको पहले 160 सीढ़ी चढ़कर पहले ऊपर जाना पड़ेगा। यहां पर आपको एक सुंदर नजारा मिलेगा जहां पर आप फोटोशूट भी कर सकते हैं अगर आप फोटोशूट में इंटरेस्ट रखते हैं तो। यह श्रीशैलम मंदिर परिसर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अब हम बात करते हैं आखिरी स्थान की जो मंदिर परिसर में ही पड़ता है जिसका नाम है भ्रामराम्बा जी का मंदिर
भ्रामराम्बा जी का मंदिर –
इस मंदिर में माता सती की यहां पर गर्दन गिरी थी 51 शक्ति पीठ में 1 शक्तिपीठ यह भी है। श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर के पीछे भ्रामराम्बा जी का मंदिर मिलेगा तो आप यहां पर भी जरूर दर्शन कीजिए और माताजी के दर्शन कीजिए।
इन सारी जगहों को घूमने के लिए हमारा माध्यम क्या होगा?
मंदिर परिसर के आसपास आपको ढेर सारी ऑटो वाले वहां पर मिल जाएंगे जिनसे आप अन्य स्थानों पर आराम से जा सकते हैं। ऑटोवाला आपसे 150 से 200 रुपये प्रति व्यक्ति का लेता है और इन सभी जगहों पर आपको वापस जिसमें 1 से 2 घंटे का समय लग जाएगा।
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन यात्रा का कुल खर्चा कितना आएगा?
अगर आप 2 दिन जहां पर स्टे करते हैंऔर श्री शैलम देवस्थानम बोर्ड के गेस्ट हाउस में रुकते हैं और अन्नप्रसाद में भोजन करते हैं तो आप का 2 दिन का प्रति व्यक्ति 1500 से Rs. 2000 खर्चा आ जाएगा। इस खर्चे में आपका यहां पहुंचने तक बस टिकट का, ट्रेन टिकट का या फ्लाइट टिकट का नहीं जुड़ा हुआ है। यह सिर्फ और सिर्फ मंदिर परिसर में पहुंचने के बाद 2 दिन का आपका यहां पर का खर्चा है।