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त्रियुगीनारायण कहाँ है? | कैसे जाएं | बेस्ट टाइम

त्रियुगीनारायण कहाँ है? | कैसे जाएं | बेस्ट टाइम

त्रियुगीनारायण उत्तराखंड में एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है। यह उत्तरकाशी जिले में गढ़वाल हिमालय में स्थित है। त्रियुगीनारायण को तीन युगों का संगम माना जाता है – सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे 108 दिव्य देशों में से एक माना जाता है। त्रियुगीनारायण अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है, जो इसे पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बनाता है। इस लेख में, हम त्रियुगीनारायण के इतिहास, जलवायु, आकर्षण और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में चर्चा करेंगे।

त्रियुगीनारायण कहाँ स्थित है? । Where is the Triyuginarayan located?

त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हैं। त्रियुगीनारायण मंदिर के लिए सबसे पहले आपको सोनप्रयाग पहुंचना पड़ेगा। सोनप्रयाग से मंदिर की दूरी लगभग 08 किलोमीटर के आसपास हैं। सोनप्रयाग से 04 किलोमीटर आगे ही गौरीकुंड स्थित है जहां से आप केदारनाथ की पैदल यात्रा सुरू करते हैं।

त्रियुगीनारायण जाने का सबसे अच्छा समय | Best Time to Travel in Triyuginarayan?

त्रियुगीनारायण तीर्थ का सबसे अच्छा समय सितंबर से नवंबर तक है। इस समय आपको शांति का अच्छा अनुभव मिलेगा और मौसम भी सुहावना रहता है।

त्रियुगीनारायण क्यों प्रसिद्ध है? । Why is Triyuginarayan famous?

यहीं पर ही भगवान शिव और पार्वती माता का विवाह हुआ था। ऐसी मान्यता है की यहाँ विवाह करने वाले जोड़ों का वैवाहिक जीवन हमेशा सुखमय रहता हैं। इसके साथ ही जो लोग यहाँ मंदिर के दर्शन करने आते हैं वे अखंड धुनी की भस्म भी अपने साथ लेकर जाते हैं ताकि उनके वैवाहिक जीवन में आई कोई भी बाधा दूर हो जाये और सब कुछ सुख-शांति से हो।

मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु माँ लक्ष्मी व भूदेवी के साथ विराजमान हैं लेकिन मंदिर के अन्य स्थलों का संबंध शिव-पार्वती के विवाह से हैं। मंदिर में जो रूद्र कुंड हैं उसको लेकर मान्यता हैं कि इसमें स्नान करने से व्यक्ति की संतान प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती हैं। इसलिए कई निस्संतान दंपत्ति यहाँ आकर रुद्रकुंद में स्नान भी करते है।

त्रियुगीनारायण की प्रमुख चीजें?

  • रूद्र कुंड – भगवान शिव व माता पार्वती के विवाह का साक्षी बनने के लिए स्वर्ग लोक से सभी देवी-देवता भी पधारे थे। रूद्र कुंड में उन सभी के द्वारा स्नान किया गया था।
  • विष्णु कुंड – त्रियुगीनारायण मंदिर में स्थित दूसरे कुंड का नाम विष्णु कुंड हैं। इस कुंड में भगवान विष्णु के द्वारा स्नान किया गया था।
  • ब्रह्म कुंड – मंदिर में तीन कुंड स्थित है जिसमें से एक कुंड ब्रह्म कुंड है। मान्यता हैं कि भगवान ब्रह्मा ने विवाह संस्कार शुरू करने से पहले इसी कुंड में स्नान किया था जिसके बाद से इस कुंड का नाम ब्रह्म कुंड पड़ गया था।
  • खंड धुनी – यह इस मंदिर का मुख्य आकर्षण हैं। इस मंदिर का निर्माण त्रेतायुग में किया गया था। इस अखंड धुनी के चारों ओर फेरे लगाकर ही भगवान शिव व माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। यह अग्नि तीन युगों से जल रही हैं जिस कारण इसे त्रियुगी मंदिर अर्थात तीन युगों से जल रही अखंड धुनी कहा जाता हैं।
  • ब्रह्म शिला – मंदिर के सामने जहाँ भगवान शिव व माता पार्वती ने विवाह किया था, उस स्थल को ब्रह्म शिला का नाम दिया गया है।
  • त्रियुगीनारायण मंदिर का स्तंभ इस मंदिर में एक पतली से डंडी बंधी है। मान्यता हैं कि भगवान शिव को विवाह में एक गाय मिली थी। उस गाय को इसी डंडी से बांधा गया था। यह डंडी आज भी वैसे ही उसी स्थान पर है।

त्रियुगीनारायण का इतिहास | History of Triyuginarayan?

त्रियुगीनारायण का इतिहास मिथक और किंवदंतियों से भरा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था, और यह भगवान विष्णु से भी जुड़ा हुआ है। यह भी कहा जाता है कि यह शहर 5,000 वर्षों से अधिक समय से बसा हुआ है।

त्रियुगीनारायण मंदिर गढ़वाल हिमालय के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में ऋषि आदि शंकराचार्य ने कराया था। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, और कहा जाता है कि यह 108 दिव्य देशम या भगवान विष्णु को समर्पित पवित्र स्थानों में से एक है।

भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण सदियों से मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण किया गया है। वर्तमान मंदिर की संरचना 18वीं शताब्दी में बनाई गई थी।

त्रियुगीनारायण कहाँ है? | कैसे जाएं | बेस्ट टाइम

त्रियुगीनारायण हमेशा से ही हिंदुओं का एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल रहा है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर के दर्शन करने और पवित्र मंदाकिनी नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

अपने धार्मिक महत्व के अलावा, त्रियुगीनारायण एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। यह शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, जिसमें बर्फ से ढके पहाड़, हरे-भरे जंगल और झरने शामिल हैं। त्रियुगीनारायण ट्रैकिंग, कैंपिंग और व्हाइट वॉटर राफ्टिंग जैसी साहसिक गतिविधियों के लिए भी एक लोकप्रिय आधार है।

त्रियुगीनारायण के इतिहास की कुछ प्रमुख घटनाएँ इस प्रकार हैं –

  1. 12वीं शताब्दी – त्रियुगीनारायण मंदिर ऋषि आदि शंकराचार्य द्वारा बनाया गया है।
  2. 14वीं शताब्दी – भूकंप से मंदिर नष्ट हो गया।
  3. 15वीं शताब्दी – मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया।
  4. 16वीं शताब्दी – भूकंप से मंदिर फिर नष्ट हो गया।
  5. 17वीं शताब्दी – मंदिर का तीसरी बार पुनर्निर्माण किया गया।
  6. 18वीं शताब्दी – वर्तमान मंदिर संरचना का निर्माण हुआ।
  7. 19वीं सदी – त्रियुगीनारायण हिंदुओं के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल बन गया।
  8. 20वीं सदी – त्रियुगीनारायण एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया।

आज, त्रियुगीनारायण एक संपन्न शहर और हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह उन लोगों के लिए भी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता और साहसिक गतिविधियों की ओर आकर्षित होते हैं।

त्रियुगीनारायण की ऊंचाई और तापमान?

त्रियुगीनारायण समुद्र तल से 1,980 मीटर (6496 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और तापमान –

महीना (Month)न्यूनतम तापमान (Minimum Temperature)अधिकतम तापमान (Maximum Temperature)
जनवरी (January)0°C15°C
फरवरी (February)2°C17°C
मार्च (March)7°C20°C
अप्रैल (April)12°C25°C
मई (May)18°C30°C
जून (June)22°C35°C
जुलाई (July)23°C35°C
अगस्त (August)23°C32°C
सितंबर (September)20°C30°C
अक्टूबर (October)13°C25°C
नवंबर (November)6°C20°C
दिसंबर (December)2°C16°C

त्रियुगीनारायण कैसे पहुंचें? । How to reach Triyuginarayan

सड़क मार्ग से त्रियुगीनारायण कैसे पहुंचें? (By Road) –

त्रियुगीनारायण, उत्तराखंड 246171″ – त्रियुगीनारायण जाने के लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश या हरिद्वार पहुँचना होगा। यहां से आपको त्रियुगीनारायण के लिए कार या बस मिल जायेगी। आप चाहें तो यहाँ से गाड़ी बुक करके भी आ सकते हैं। ऋषिकेश से त्रियुगीनारायण की दूरी 220 किलोमीटर है और हरिद्वार से त्रियुगीनारायण की दूरी 244 किलोमीटर है, जोकि रूद्रप्रयाग तक राष्ट्रीय राजमार्ग NH 7 से होकर जाता है और उससे आगे यह सोनप्रयाग तक राष्ट्रीय राजमार्ग 107 से होकर जाता है।

ट्रेन से त्रियुगीनारायण कैसे पहुंचें? ( By Train ) –

त्रियुगीनारायण का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और हरिद्वार में स्थित है यहां पहुँचने के बाद आप टैक्सी या बस की मदद से चोपता पहुँच सकते हैं। ऋषिकेश से त्रियुगीनारायण की दूरी 220 किलोमीटर है और हरिद्वार से त्रियुगीनारायण की दूरी 244 किलोमीटर है। ऋषिकेश से हरिद्वार की दूरी 20.6 किलोमीटर है।

हवाई मार्ग से त्रियुगीनारायण कैसे पहुंचें? ( By Air ) –

त्रियुगीनारायण के लिए कोई हवाई अड्डा नहीं है, लेकिन अगर आप हवाई मार्ग से आना चाहते हो तो आप केवल देहरादून जोलीग्रान्ट एयरपोर्ट आ सकते हैं। त्रियुगीनारायण के सबसे पास हवाई अड्डा देहरादून जोलीग्रान्ट में है। देहरादून से आप गाड़ी या बस की मदद से त्रियुगीनारायण बहुत आसानी से पहुँच सकते हो। आप चाहें तो ऋषिकेश से बाइक या स्कूटी रेंट पर भी ले सकते हैं। जोलीग्रान्ट से त्रियुगीनारायण की दूरी 230 किलोमीटर की है।

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